कनाडा से बड़ी खबर: कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफ़ा

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री से इस्तीफ़ा दे दिया है। लिबरल पार्टी के नए नेता चुने जाने तक ट्रूडो प्रधानमंत्री बने रहेंगे।

ट्रूडो ने कहा कि वो पार्टी के नेता के तौर पर इस्तीफ़ा देते हैं और अगला नेता चुने जाने के बाद वो पीएम पद से इस्तीफ़ा देंगे। सोमवार सुबह प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जस्टिन ट्रूडो ने इस्तीफ़े की घोषणा करते हुए कहा, ”प्रधानमंत्री के रूप में हर एक दिन सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात रही। हमने महामारी के दौरान सेवा की, मज़बूत लोकतंत्र के लिए काम किया, बेहतर कारोबार के लिए काम किया। आप सभी को पता है कि मैं फ़ाइटर हूं।”

जस्टिन ट्रूडो ने कहा, ” 2015 में जब से मैं प्रधानमंत्री बना तब से कनाडा और इसके हितों की रक्षा के लिए काम कर रहा हूं। मैंने मध्य वर्ग को मज़बूत करने के लिए काम किया। देश को महामारी के दौरान एक दूसरे का समर्थन करते देखा । ” इसके साथ ही जस्टिन ट्रूडो के नौ साल के शासन का अंत होने जा रहा है।

कहा जा रहा है कि जस्टिन ट्रूडो की मतदाताओं के बीच कम होती लोकप्रियता के कारण लिबरल पार्टी के भीतर से ही इस्तीफ़े का दबाव था। कनाडा में इसी साल अक्टूबर से पहले चुनाव होने हैं। ट्रूडो पिछले कुछ समय से न केवल विदेशी मोर्चे पर जूझ रहे हैं बल्कि घरेलू राजनीति में भी उनके लिए कई मुश्किलें खड़ी हुई हैं। ऐसे सर्वे आए हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी चुनाव हार सकती है। दिलचस्प है कि पड़ोसी देश अमेरिका में ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति की कमान संभालने जा रहे हैं, तब ट्रूडो ने इस्तीफ़े की घोषणा की है। दरअसल ट्रंप ने कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।

ट्रंप की इस चेतावनी के बाद ट्रूडो उनसे मिलने अमेरिका गए थे लेकिन कोई आश्वासन नहीं मिला था. यहाँ तक कि ट्रंप ने कनाडा को 51वाँ राज्य बताना शुरू कर दिया था। दरअसल, कनाडा के कुल निर्यात का 75 प्रतिशत निर्यात अमेरिका में होता है. ऐसे में 25 फ़ीसदी टैरिफ़ कनाडा पर बहुत भारी पड़ेगा। ट्रूडो के इस्तीफ़े के बारे में ख़बर के आने के बाद से ही भारतीय मीडिया में कहा जा रहा है कि भारत के साथ संबंधो में तल्ख़ी ने भी कहीं न कहीं उनकी लोकप्रियता को धक्का पहुंचाया और बात इस्तीफ़े तक आ गई।

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