अखंड केसरी ब्यूरो :-मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच रिश्तों की दरार उनकी विदायगी तक थमती नजर नहीं आ रही है। अब इसे संयोग कहा जाए या रिश्तों में बनी दीवार… मुख्यमंत्री भगवंत मान इस विदायगी पार्टी का हिस्सा नहीं होंगे।
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की विदायगी पार्टी
राजभवन में पंजाब सरकार की ओर से राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की विदायगी पार्टी का समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उनकी जगह पर वित्तमंत्री हरपाल चीमा और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा इस समारोह में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी के पीछे एक प्रमुख कारण उनका दिल्ली जाना बताया जा रहा है। भगवंत मान आईएनडीआई गठबंधन की ओर से जंतर-मंतर पर आयोजित धरने में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रहे हैं।
इस पार्टी का आयोजन पंजाब सरकार की ओर से
दिल्ली में यह धरना अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल में उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर आयोजित किया जा रहा है। जब दिल्ली में यह धरना दिया जा रहा होगा, तब राजभवन में राज्यपाल को विदायगी पार्टी दी जाएगी। इस पार्टी का आयोजन पंजाब सरकार की ओर से किया जा रहा है जिसमें मंत्री, विधायक और अधिकारी भी शामिल होंगे।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या मुख्यमंत्री का इस तरह से राजभवन के समारोह से दूर रहना महज एक संयोग है या फिर इसके पीछे कोई और वजह छिपी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी ने इस स्थिति को जन्म दिया है। दोनों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर उनके दृष्टिकोण में अंतर।
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है। उनकी कई टिप्पणियों और फैसलों ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी कई बार राज्यपाल के फैसलों पर खुलकर विरोध जताया है। इन सबके बीच राज्यपाल के विदायगी समारोह में मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी इस बात का संकेत हो सकती है कि दोनों के बीच के रिश्तों में कोई सुधार नहीं हुआ है।
वित्तमंत्री हरपाल चीमा और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा की उपस्थिति से यह साफ है कि सरकार ने अपने प्रतिनिधियों को इस महत्वपूर्ण समारोह में भेजा है, लेकिन मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि मुख्यमंत्री का दिल्ली जाकर धरने में शामिल होना उनके राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वे केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना चाहते हैं।
दिल्ली में आयोजित धरने का समय और राज्यपाल के विदायगी समारोह का समय एक ही दिन पड़ना अपने आप में एक महत्वपूर्ण संयोग है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण संकेत छोड़ती हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान का दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के समर्थन में धरने में शामिल होना यह दर्शाता है कि वे अपने सहयोगियों के साथ खड़े हैं, जबकि राज्यपाल के विदायगी समारोह में उनकी अनुपस्थिति उनके और राज्यपाल के बीच के संबंधों में चल रहे तनाव को उजागर करती है।
राजभवन में आयोजित यह विदायगी पार्टी पंजाब सरकार के मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के लिए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को विदाई देने का एक मौका है। हालांकि, मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति ने इस समारोह को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में इन राजनीतिक घटनाओं का राज्य की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच के रिश्ते में कोई बदलाव आता है।


