मुंबई में आठवें एसीटीसीएम बजरे का जलावतरण, भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता को मिली नई दिशा”

अखंड केसरी ब्यूरो:- आठवें गोला बारूद और टॉरपीडो सह मिसाइल (एसीटीसीएम) से सुसज्जित नौका, एलएसएएम 22 (यार्ड 132) का जलावतरण समारोह 06 जनवरी 2025 को मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में धूमधाम से आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में फ्लीट मेंटेनेंस यूनिट के ऑफिसर-इन-चार्ज, कमोडोर विनय वेंकटरमण उपस्थित थे। इस अवसर पर भारतीय नौसेना की नवीनतम तकनीकी क्षमताओं और आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को एक नया आयाम मिला। एसीटीसीएम बजरों का निर्माण और आपूर्ति करने के लिए ठाणे स्थित एमएसएमई शिपयार्ड, मैसर्स सूर्यदीप्ता प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ 05 मार्च, 2021 को अनुबंध हुआ था। इस अनुबंध के तहत अब तक सात एसीटीसीएम बजरों की आपूर्ति हो चुकी है, और शिपयार्ड को भारतीय नौसेना के लिए चार और सुलेज बार्ज का निर्माण करने का कार्य सौंपा गया है। इस प्रक्रिया से भारतीय नौसेना ने एमएसएमई को प्रोत्साहित करने और देश में स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दिखाया है।

इन एसीटीसीएम बजरों को भारतीय जहाज डिजाइनिंग फर्म के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है, और इनकी समुद्र में कार्यक्षमता की पुष्टि करने के लिए इन्हें नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, विशाखापत्तनम में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इसके बाद इन बजरों का निर्माण भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के नौसेना नियमों के तहत किया गया है, जिससे इनकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो पाई है। ये बजरे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल के प्रतीक बनकर उभरे हैं और देश की रक्षा शक्ति को और अधिक मजबूती प्रदान करेंगे। इन बजरों के भारतीय नौसेना में शामिल होने से समुद्री सुरक्षा और तटीय सुरक्षा को नया बल मिलेगा। विशेष रूप से, इन बजरों के द्वारा जेटी और बाहरी बंदरगाहों पर नौसेना के प्लेटफार्मों तक सामग्री, गोला-बारूद और टॉरपीडो का परिवहन, चढ़ाना और उतारना और भी सुविधाजनक और प्रभावी होगा। यह भारतीय नौसेना की परिचालन प्रतिबद्धताओं को और मजबूती देगा, जिससे समुद्री क्षेत्रों में भारत की शक्ति और प्रभाविता में इजाफा होगा।

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