पंजाबी कवि और प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री सुरजीत सिंह पातर का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ : सीएम भगवंत मान ने अर्थी को दिया कंधा

लुधियाना/अखंड केसरी ब्यूरो
पंजाबी कवि और प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री सुरजीत सिंह पातर का अंतिम संस्कार सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ मॉडल टाउन श्मशान घाट में कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी और परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने अर्थी को कंधा भी दिया। इस दौरान पातर को श्रद्धांजलि देते समय मान भावुक हो गए। राज्यसभा सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल भी इस दौरान मौजूद रहे।  इस दौरान सीएम मान ने पातर अवार्ड शुरू करने का एलान किया। हर साल यह अवार्ड उभरते कवियों और साहित्यकारों को दिया जाएगा।

पातर के अंतिम संस्कार के दौरान उनके अंतिम संस्कार के मौके पर पंजाब के नामी गायक, साहित्यकार, शायर, कवि, गीतकार, नावलकार, संगीत की दुनियां से जुड़े लोग समेत समाज के हर वर्ग के लोग मौजूद थे और अपने प्रिय साहित्यकार को अपनी श्रद्धांजलि दे रहे थे। पातर की कलम से संजोया हर शब्द अब उनके प्रशंसकों के लिए यादगार बन गया है। उनके शब्दों में हमेशा ही पंजाब, पंजाबियत, पंजाबी भाषा, पंजाबी विरसे की झलक ही देखने को मिली। श्मशान घाट पर डा. पातर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे पंजाबी गायक मोहम्मद सदीक ने नम आंखों से कहा कि अभी तो पंजाबी साहित्य को पातर की बहुत जरूरत थी, इस नुकसान को पूरा नहीं किया जा सकता और न ही नया पातर आ सकता है। यदि आया भी तो उस मुकाम तक पहुंचना मुश्किल है। इतना कहते ही मोहम्मद सदीक का गला भर आया, क्योंकि दो दिन पहले ही वे पातर से मिले थे और उनके साथ साहित्य जगत को लेकर कई तरह की बातें की थीं। पंजाबी कलाकार गुरप्रीत घुग्गी के भी बोल नम थे और उन्होंने कहा कि डा. पातर सभी को साथ लेकर चले उनके लिए सभी बराबर थे। उन्होंने अपने जीवन में पंजाबी सम्यचार के लिए दिन रात काम किया। अक्सर जब भी उनसे मुलाकात होती थी तो वे पंजाबी को प्रोत्साहित करने को लेकर संजीदा रहते थे।

मॉडल टाउन एक्सटेंशन स्थित श्मशानघाट में सैंकड़ों की तादाद में उनके चाहने वाले डा. पातर को नम आंखों से याद कर रहे थे, हर पलक भीगी थी। इन सब के बीच डा. पातर के कद्रदान हर पल उनके बारे में ही चर्चा कर रहे थे, उनके साथ बिताएं अपने पलों को याद कर रहे थे, लेकिन आज कुछ देर के लिए इन लाइनों का मतलब बदल गया था। श्मशान घाट में खास तौर पर पहुंचे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी भावुक हो गए थे। डा. पातर से उनकी इतनी नजदीकियां रहीं कि उनकी अर्थी को भी कंधा देकर अपनी भावनाओं का इजहार किया।  पंजाबी गायक देबी मखसूस पुरी की आंखें आंसुओं से भरी थी और वे सहज तरीके से ही बात कर पा रहे थे। उन्होंने कहा कि डा. पातर की कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता। उनका एक औरा था और वे अपने आप में संस्था थे, उनसे जीवन भर सीखने को मिला। पंजाबी के प्रख्यात गायक पम्मी बाई ने कहा कि वर्ष 1986 से लेकर अब तक डा. पातर का साथ रहा। उनके साथ काम भी किया। आर्ट काउंसिल में भी हम इकट्ठे थे। डा. पातर अपने आप में संपूर्ण थे। उनके साथ एक कैसेट भी बनाई थी। इसके अलावा फिल्म दारा में उनके साथ काम किया, इस फिल्म में वे प्रोफेसर की भूमिका में थे। डा. पातर एक सोच थे और वह सोच सदा अमर रहेगी। इस दौरान सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल और मोहम्मद सादिक, विधायक अशोक पराशर पप्पी, दलजीत सिंह ग्रेवाल, तरुणप्रीत सिंह, कुलवंत सिंह सिद्धू, पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़, पूर्व मंत्री मलकीत सिंह दाखा और महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, कृष्ण कुमार बावा और अमरजीत सिंह टिक्का, गुरदेव सिंह लापरां, सतबीर सिंह सिद्धू, प्रख्यात शिक्षाविद पद्म भूषण सरदारा सिंह जोहल, पीएयू के कुलपति सतबीर सिंह गोसल, साहित्य जगत की मशहूर हस्तियों में हरजिंदर सिंह थिंड, रेडियो रेड एफएम सरे कनाडा, बलदेव सिंह सड़कनामा, प्रो. पंजाबी लोक विरासत अकादमी के अध्यक्ष गुरभजन सिंह गिल, पंजाबी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सरबजीत सिंह, शमशेर सिंह संधू मौजूद रहे। इनके अलावा प्रोफेसर रविंदर भट्टल, डॉ. गुरइकबाल सिंह, अश्विनी चैटली, गुरचरण कौर कोचर, डॉ. देविंदर दिलरूप, त्रैलोचन लोची, किरपाल कजाक, डॉ. सुखदेव सिंह सिरसा, डॉ. सुरजीत सिंह पटियाला, अमरजीत ग्रेवाल, स्वर्णजीत स्वि, प्रो. जगमोहन सिंह, सुरिंदर गीत, डाॅ. दीपक मनमोहन सिंह, सेंट्रल पंजाबी राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन बुट्टर, महासचिव सुशील दोसांझ, डॉ. स्वराजबीर, पंजाब से प्रोफेसर योगराज अंगरीश कला परिषद, केवल धालीवाल, दीवान माना, डॉ. निर्मल जोरा, देश भगत मेमोरियल हॉल से अमोलक सिंह, गुरप्रीत सिंह तूर, तेज प्रताप सिंह संधू, दीपक शर्मा चनारथल, एडवोकेट हरप्रीत संधू, रविंदर रंगुवाल, निंदर घुगियानवी, डॉ. पंजाबी संगीत जगत से बलविंदर सिंह लक्खेवाली, अमर नूरी, इरशाद कामिल, पम्मी बाई, जीएस पीटर, गुरप्रीत घुग्गी, जसवंत संडीला, डाॅ. वीर सुखवंत, देबी मकसूसपुरी, तेजवंत किट्टू भी मौजूद थे।
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