नीरज चोपड़ानई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने अपनी उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया, साथ ही यह भी स्वीकार किया कि उन्हें अपने प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है। नीरज चोपड़ा ने कहा कि देश के लिए पदक जीतना उनके लिए हमेशा गर्व का क्षण होता है, लेकिन वे इस बात से भी वाकिफ हैं कि खेल के हर पहलू में निरंतर सुधार की जरूरत होती है। उन्होंने स्वीकार किया कि पेरिस ओलंपिक में हालांकि उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन इस दिन का जादू अरशद नदीम के नाम रहा, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। नीरज ने कहा, “मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की, लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी थीं जिन पर ध्यान देना और काम करना अभी बाकी है।”
नीरज चोपड़ा ने एक और इतिहास रचा
रजत पदक जीतने के साथ ही नीरज चोपड़ा ने एक और इतिहास रचा, क्योंकि वे व्यक्तिगत स्पर्धा में दो ओलंपिक पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय पुरुष एथलीट बन गए। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए नीरज ने कहा, “जब भी हम देश के लिए पदक जीतते हैं, तो यह हमारे लिए खुशी का बड़ा क्षण होता है। लेकिन अब समय आ गया है कि हम खेल को और बेहतर बनाएं। हम अपनी रणनीतियों पर विचार करेंगे और जहां जरूरत होगी वहां सुधार करेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “भारत ने पेरिस ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन किया, प्रतियोगिता वाकई शानदार थी। लेकिन हर एथलीट का अपना दिन होता है, और आज का दिन अरशद का था।”
जैवलिन थ्रो में रन-अप का सही होना बहुत जरूरी
नीरज चोपड़ा ने अपने प्रदर्शन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वे अपने प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, “आज मेरा रनवे और तकनीक उतनी सटीक नहीं थी जितनी होनी चाहिए थी। मैंने सिर्फ एक थ्रो में बेहतर प्रदर्शन किया, बाकी के थ्रो में मैंने फाउल कर दिया। उस दूसरे थ्रो में मुझे खुद पर विश्वास था कि मैं इसे और बेहतर कर सकता हूं, लेकिन जैवलिन थ्रो में रन-अप का सही होना बहुत जरूरी है, और आज मेरा रन-अप वैसा नहीं था जैसा होना चाहिए था।”
नीरज चोपड़ा ने अरशद नदीम को उनकी जीत के लिए दी बधाई
नीरज चोपड़ा ने स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में चोटों ने उनके प्रदर्शन पर असर डाला है। उन्होंने कहा, “पिछले दो-तीन साल मेरे लिए बहुत अच्छे नहीं रहे। मैं लगातार चोटिल रहता रहा हूं, लेकिन इसके बावजूद मैंने अपनी पूरी कोशिश की है। मुझे अपनी चोट और तकनीक पर और ध्यान देना होगा। भविष्य में मैं और मेहनत करूंगा ताकि मैं और बेहतर प्रदर्शन कर सकूं।” नीरज ने अरशद नदीम को उनकी जीत के लिए बधाई देते हुए कहा, “आज की प्रतियोगिता वाकई शानदार थी। अरशद ने बहुत ही उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीता। मैं उन्हें और उनके देश को बधाई देना चाहता हूं।”
नीरज ने अपनी बातचीत में यह भी कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि वे अपने प्रदर्शन से खुद को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाए। उन्होंने कहा, “जब हम ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर होते हैं, तो हमारे ऊपर देश की उम्मीदें टिकी होती हैं। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की, लेकिन आज का दिन पूरी तरह से मेरा नहीं था। मुझे इस बात का यकीन है कि भविष्य में मैं और मेहनत करूंगा और अपने देश के लिए और भी बड़े मुकाम हासिल करूंगा।”
नीरज चोपड़ा की यह स्पष्टता और ईमानदारी उनकी सफलता के पीछे की प्रमुख वजहों में से एक है। वे हमेशा से अपने खेल और अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए समर्पित रहे हैं। चाहे वह तकनीकी त्रुटियों को सुधारना हो या चोटों से उबरना, नीरज का आत्मविश्वास और उनकी मेहनत की भावना उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती है। उनके इस संकल्प और समर्पण के कारण ही आज वे न केवल भारत के बल्कि दुनिया के सबसे बेहतरीन जैवलिन थ्रो खिलाड़ियों में से एक हैं।
आने वाले दिनों में, नीरज चोपड़ा का ध्यान अपनी तकनीक को और भी निखारने और चोटों से बचने पर होगा, ताकि वे अपने आगामी प्रतियोगिताओं में और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें। नीरज का मानना है कि जीत और हार दोनों ही खेल का हिस्सा हैं, लेकिन असली जीत तब होती है जब आप हर हार से सीखते हैं और खुद को और बेहतर बनाते हैं। नीरज चोपड़ा का यह दृष्टिकोण और उनकी मेहनत उन्हें आने वाले दिनों में और भी बड़ी उपलब्धियां दिलाने में सहायक होगा।
इस बात में कोई संदेह नहीं कि नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतकर न केवल अपने देश को गौरवान्वित किया है, बल्कि उन्होंने उन लाखों युवाओं के लिए भी प्रेरणा का काम किया है जो खेलों में अपना करियर बनाना चाहते हैं। उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ है, बल्कि यह तो सिर्फ एक नई शुरुआत है। नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों की उपलब्धियां भारत को विश्व मंच पर और भी ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम करेंगी।


