इजरायल-हमास संघर्ष: तेल अवीव पर रॉकेट हमलों के बाद बिगड़े हालात

अखंड केसरी ब्यूरो:-ईरान की धमकियों से पहले ही वैश्विक मंच पर चिंता का माहौल था, और इसी बीच हमास ने इजरायल पर ताबड़तोड़ रॉकेट हमले कर दिए, जिससे तनाव और बढ़ गया। इन हमलों के दौरान हमास ने घातक M-90 रॉकेट का इस्तेमाल कर इजरायल की राजधानी तेल अवीव को निशाना बनाया। हालांकि, इजरायली सेना ने तत्परता से इन हमलों को नाकाम कर दिया, जिससे एक बड़ी त्रासदी टल गई। हमास की शाखा कस्साम ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह गाजा में हाल ही में हुए नरसंहारों का बदला लेने के लिए किया गया है। उनका दावा है कि यह तो बस शुरुआत है और आगे और भी हमले जारी रहेंगे।

इससे पहले इजरायली सेना ने एक स्कूल पर घातक हमले किए थे, जिसमें कम से कम 100 फलस्तीनियों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद हमास ने कसम खाई थी कि वे इसका बदला जरूर लेंगे, और उनके हालिया रॉकेट हमले को इसी प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है। इस अटैक के चलते तेल अवीव को कितना नुकसान पहुंचा है, इसकी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि इस हमले ने पूरे इजरायल में एक बार फिर से सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दूसरी ओर, इजरायल ने भी तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए आतंकियों की एक कमान चौकी को निशाना बनाया, जिसमें 19 लड़ाकों की मौत हो गई। इजरायली सैनिक अब बुरी तरह तबाह हुए उन इलाकों की ओर लौट रहे हैं, जहां उन्होंने पहले फलस्तीनी आतंकियों से संघर्ष किया था। इस संघर्ष ने एक बार फिर से इजरायल और हमास के बीच शांति की संभावनाओं को लगभग खत्म कर दिया है।

इससे पहले, हमास ने अमेरिका, कतर और मिस्र से शांति वार्ता करने का प्रस्ताव दिया था, ताकि युद्धविराम हो सके। लेकिन इजरायल के ताजा हमले के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। गाजा में जारी हिंसा और हमलों के बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी चिंता बढ़ गई है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली ने मध्य पूर्व के हालात पर एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने गाजा में युद्ध को रोकने के लिए बंधकों की रिहाई को सबसे जरूरी बताया है।

इन देशों का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके, हमें बातचीत करनी चाहिए, ताकि हिंसा का सिलसिला रोका जा सके। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल सीसी और कतर के अमीर तमीम ने भी जल्द शांति वार्ता की मांग की है।

इस बीच, ईरान की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। ईरान ने हमास के हमलों का समर्थन किया है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। ईरान के रुख से यह साफ हो गया है कि वह इजरायल के खिलाफ किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हटने वाला है। इसके अलावा, ईरान के इन धमकियों से दुनिया भर के देशों की चिंता और बढ़ गई है, जो पहले से ही मध्य पूर्व में बढ़ते संघर्ष के प्रति चिंतित हैं।

इजरायल और हमास के बीच चल रहे इस संघर्ष ने एक बार फिर से मध्य पूर्व को अशांत कर दिया है। इस संघर्ष के चलते न केवल क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ गई है, बल्कि इससे वैश्विक शांति की संभावनाओं पर भी असर पड़ सकता है। इजरायल के खिलाफ हमास के ताजा हमले और इजरायल की जवाबी कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र में शांति स्थापना अभी भी एक दूर की कौड़ी है।

इस पूरे घटनाक्रम में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी अहम हो गई है। अब देखना यह होगा कि अमेरिका, कतर, मिस्र, और अन्य देशों की शांति वार्ता की पहल को कैसे अंजाम तक पहुंचाया जाता है, और क्या इस संघर्ष को रोका जा सकता है या नहीं। लेकिन फिलहाल, हालात यह दर्शाते हैं कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे इस संघर्ष का अंत निकट नहीं है, और आने वाले दिनों में और भी हिंसा हो सकती है।

मध्य पूर्व की स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल नहीं है कि आने वाले समय में इस संघर्ष के और भी गहरे परिणाम हो सकते हैं, जिनका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए कदम उठाए, ताकि इस हिंसा का अंत हो सके।

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