अखंड केसरी ब्यूरो :-नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए शोध में कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई है। शोधकर्ताओं ने चुंबकीय हाइपरथर्मिया-आधारित कैंसर थेरेपी के साथ हीट शॉक प्रोटीन 90 (एचएसपी90) के निरोधक 17-डीएमएजी के संयोजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिससे कीमोथेरेपी की खुराक को कम करने और उपचार को अधिक प्रभावी बनाने की संभावना सामने आई है। इस विधि में अल्ट्रा-छोटे चुंबकीय नैनो कणों का उपयोग किया गया है, जो कम खुराक पर भी ट्यूमर कोशिकाओं को प्रभावी रूप से नष्ट कर सकते हैं।
इस तकनीक का परीक्षण चूहे के ग्लियोमा मॉडल पर किया गया, जिसमें परिणामस्वरूप ग्लियोमा कोशिकाओं की बड़े पैमाने पर मौत दर्ज की गई और ट्यूमर निरोधी दरों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि 8 दिनों के भीतर प्राथमिक और द्वितीयक ट्यूमर स्थलों पर ट्यूमर निरोधी दरें क्रमशः 65 प्रतिशत और 53 प्रतिशत तक पहुंच गईं, जो इस तकनीक की प्रभावशीलता को दर्शाती है।
यह अध्ययन न केवल कीमोथेरेपी की आवश्यक खुराक को कम कर सकता है, बल्कि इसके दुष्प्रभावों को भी कम कर सकता है, जिससे उपचार प्रक्रिया सुरक्षित और अधिक प्रभावी हो जाती है। इसके अतिरिक्त, यह थेरेपी द्वितीयक ट्यूमर साइटों पर भी बिना अतिरिक्त खुराक के प्रभावी साबित हो सकती है, जिससे मरीजों को अनावश्यक दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि इस विधि से कैंसर के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है। यह चिकित्सा संभावित रूप से साइटोकाइन स्राव के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय कर सकती है, जिससे ट्यूमर-रोधी प्रभावों में वृद्धि होती है।
इस अध्ययन ने कैंसर के इलाज के लिए एक नई और अधिक सहनीय विधि की संभावनाओं को जन्म दिया है, जो लाखों रोगियों के लिए एक आशा की किरण साबित हो सकती है। हालांकि, इस चिकित्सा के नैदानिक अनुप्रयोग को साकार करने के लिए अभी भी व्यापक वैश्विक शोध की आवश्यकता है, जिससे यह एक सहायक या वैकल्पिक कैंसर उपचार के रूप में विकसित हो सके। यह नवाचार भविष्य में कैंसर उपचार के लिए नए दरवाजे खोल सकता है और इसे अधिक कुशल, सुरक्षित और कम दुष्प्रभावों वाला बना सकता है।
इस प्रगति ने कैंसर थेरेपी के क्षेत्र में एक नई दिशा का संकेत दिया है, जहां उन्नत तकनीकों के माध्यम से उपचार की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है। इसका उद्देश्य मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार करना और उन्हें एक स्वस्थ और दीर्घकालिक जीवन प्रदान करना है।


