Pakistani Spy Case: दानिश का मोबाइल नंबर पाकिस्तान हाई कमीशन के नाम पर रजिस्टर्ड है। दानिश इस नंबर के जरिए ही ज्योति, गजाला और यामीन से व्हाट्सऐप, स्नेप चैट्स पर वॉइस कॉल के जरिए बातचीत करता था।
यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा से जुड़े जासूस कांड में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पाकिस्तान हाई कमीशन में पोस्टेड दानिश वीजा डेस्क पर तैनात था। दानिश भारत के लोगों को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के लिए ट्रेप करने के अलावा पाकिस्तान हाई कमीशन में बैठकर घूसखोरी भी कर रहा था।
दानिश एक वीजा की फाइल क्लीयर के लिए करीब 5 हजार रुपये की घूस लेता था और इस रिश्वत की रकम के 5 हजार गिरफ्तार आरोपी यामीन मोहम्मद के पास जमा रहते थे। उधर, यामीन मोहम्मद पाकिस्तान हाई कमीशन वीजा लगवाने आने वाले को झांसे में लेता था और दानिश से मिलवाता था फिर दानिश के कहने पर ही यामीन घूस की रकम क्लाइंट से लेकर रख लेता था।
व्हाट्सऐप वॉइस कॉल के जरिए दानिश ज्योति से करता था बात
पाकिस्तान हाई कमीशन में काम करने वाला दानिश का मोबाइल नंबर पाकिस्तान हाई कमीशन के नाम पर ही रजिस्टर्ड है दानिश इस नंबर के जरिए ही ज्योति, गजाला और यामीन से व्हाट्सऐप, स्नेप चैट्स पर वॉइस कॉल के जरिए बातचीत करता था।
पूछताछ में गजाला, यामीन और देवेंद्र सिंह ढिल्लों ने क्या बताया?
गजाला ने पूछताछ में बताया, “मेरे पति की कोविड में मौत हो गई थी। मैं पहली बार फरवरी में पाकिस्तान हाई कमीशन गई और दूसरी बार मार्च में गई थी। पहली बार जब मैं पाकिस्तान हाई कमीशन गई तो मुझे वहां पर वीजा डेस्क पर दानिश नाम के एक पाकिस्तानी अधिकारी मिले। उन्होंने मेरे बारे में सारी जानकारी ली और मुझे अपना मोबाइल नंबर दे दिया। मैं कागजी कार्रवाई करके वहां से निकल आई. मेरा नंबर भी दानिश नाम के पाकिस्तानी अधिकारी के पास था।”
गजाला ने आगे बताया, “उसके बाद उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि कुछ वीजा में डॉक्यूमेंट की कमी है, एक बार फिर आपको पाकिस्तान हाई कमीशन आना होगा। इसके बाद में फिर पाकिस्तान हाई कमीशन गई उसे दौरान हमारी काफी बातचीत हुई और फिर दानिश और हम एक दूसरे से लगातार बात करने लगे। दानिश ने मुझे बताया कि उसकी शादी हो चुकी है और उसकी पत्नी भी उसके साथ रहती है लेकिन वह मेरे साथ शादी करना चाहता है और वह अपनी पत्नी को इसके बारे में बताएगा भी।”
उसने बताया, “दानिश ने मुझे पैसे देने की भी बात कही। उसके लिए उसने मुझे यूपीआई के जरिए करीब ₹20000 पहुंचाए। यह पैसा यामीन के जरिए मेरे पास पहुंचा। दानिश जब दिल्ली में इंडिया गेट या कई अन्य जगहों पर घूमने जाते थे, कुछ छोटी-मोटी शॉपिंग या खाना पीना करते थे तो मुझे उस शॉप का क्यूआर कोड भेज देते थे और बोलते थे कि इस पर पेमेंट कर दो. उसी 20 हजार में से मुझे वह खर्च करने के लिए कहते थे. मैं उनके मुताबिक वह सब कर रही थी. उन्होंने मुझसे पूछा भी कि पंजाब में आर्मी से जुड़ी कुछ जानकारियां तुम्हारे पास हैं या नहीं अगर हैं तो मुझे दो या अरेंज करो. मेरे पाकिस्तान के लाहौर में कुछ रिश्तेदार रहते हैं और उन्होंने मुझे कहा कि तुम यहां पर आ जाओ यहां पर कपड़े से जुड़ा व्यापार करेंगे तुम्हारी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाएगी. इसलिए, मैं पाकिस्तान जाना चाह रही थी.”
यामीन ने क्या बताया?
यामीन ने बताया, “मैं दो बार पाकिस्तान जा चुका हूं. काफी अच्छे से मैं दानिश को जानता था, जब मैं अपना वीजा लगवाने पाकिस्तान हाई कमीशन पहुंचा तो मेरी दानिश से मुलाकात हुई फिर हम काफी बात करने लगे। मुझे दानिश ने कहा कि पाकिस्तान हाई कमीशन वीजा लगवाने जो लोग आते हैं उनसे तुम टच में रहो। मैं उनका वीजा जल्दी लगवाने में पूरी मदद करूंगा। उसके बदले में तुम उनसे कमीशन मांगो और पैसा अपने ही पास रखो। इसके बदले में तेरे जानने वालों का वीजा जल्द लगवा दूंगा, पर ये कमीशन का पैसा मेरा रहेगा. तुम सिर्फ इस पैसे को रखोगे। उसके बाद मैं दानिश के मुताबिक काम करने लगा। फिर मैं दानिश के पास लोगों को भेजने लगा और हर एप्लीकेशन के 5 हजार लेने लगा। मैंने 4 एप्लिकेशन लगवाईं, जिसमे 20 हजार मिले जो मैंने दानिश के कहने पर गजाला के UPI में ट्रांसफर कर दिए थे। मैं रिश्तेदारों से मिलने के लिए गुजरेवाला दो बार गया।”
देवेंद्र सिंह ढिल्लों से पूछताछ में क्या सामने आया?
उसने बताया, “मैं करीब 3000 लोगों के जत्थे के साथ करतारपुर कॉरिडोर गया था, जिसमें करीब 125 लोग हरियाणा के रहने वाले थे। बाघा बॉर्डर पहुंचने पर एक स्कॉट हमें मिला और तब मेरी मुलाकात विक्की नाम के पाकिस्तानी नागरिक से हुई। मुझे नहीं पता था कि यह पाकिस्तान ISI के लिए काम करता है। विक्की ने मेरी काफी मदद की। मुझे काफी घुमाया और पूजा करवाई। फिर हम लोग लाहौर पहुंचे, वहां विक्की ने मेरी मुलाकात एक शख्स अरसलान से करवाई। वहां एक होटल में मुलाकात करने गए जहां पर विक्की के दोस्त अरसलान की एक महिला दोस्त भी मौजूद थी। मेरी वहां पर उससे बातचीत हुई और हम लोगों ने एक दूसरे का नंबर एक्सचेंज किया। हम शॉपिंग करने भी गए उस लड़की का इंस्टाग्राम का आईडी भी मेरे पास था जब मैं भारत वापस आ गया तो उसने मुझे ब्लाक कर दिया।”
ढिल्लों ने आगे बताया, “विक्की ने मुझे एक भारतीय फोन नंबर जिसमें QR कोड चल रहा था उस पर ₹1500 डालने के लिए कहा, उसने बोला कि एक गरीब की मदद हो जाएगी। मैंने ₹1500 उस भारतीय QR नंबर पर डाल दिए। मैंने विक्की से खुद भी संपर्क किया था और करतारपुर में पूजा करने के लिए रिक्वेस्ट की थी। विक्की ने मुझे एक दिन कहा कि तुम मुझे एक भारतीय सिम मुहैया करवा दो।” फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां पता लगा रही हैं कि वो भारतीय नंबर किसका है और वो नंबर विक्की नाम के पाकिस्तान ISI के हेंडलर तक कैसे पहुंच गया।


