हरियाणा में किसान आंदोलन फिर गरमाया: 15 और 22 सितंबर को महापंचायत, 3 अक्टूबर को देशव्यापी रेल रोको आंदोलन की तैयारी”

अखंड केसरी ब्यूरो :-हरियाणा के जींद और पीपली में आगामी 15 और 22 सितंबर को महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें किसान नेता और किसान मजदूर मोर्चा एवं संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के सदस्यों ने भाग लेने का आह्वान किया है। वहीं, तीन अक्टूबर को पूरे देश में दो घंटे का रेल रोको आंदोलन करने की घोषणा की गई है, जिसका नेतृत्व किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल करेंगे। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य दिल्ली आंदोलन-1 के दौरान लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के प्रति न्याय की मांग करना और पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ विरोध जताना है।

 

शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन-2.0 के 200 दिन पूरे होने पर शनिवार को आयोजित महापंचायत में किसानों ने एकजुट होकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा। पंधेर ने कहा कि हरियाणा चुनाव के चलते भाजपा किसानों के आंदोलन से डर गई है, क्योंकि यह आंदोलन उनके लिए सिरदर्दी बनता जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा एक संयुक्त सम्मेलन आयोजित करेंगे, जिसमें चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी और उसकी घोषणा की जाएगी।

 

पंधेर ने हरियाणा और पंजाब सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को स्वास्थ्य सुविधाएं, बिजली, पानी और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर इन समस्याओं का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो 14 सितंबर को राजपुरा के गगन चौक पर जाम लगाया जाएगा। वहीं, डल्लेवाल ने भी इस बात पर जोर दिया कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों को जल्द पूरा नहीं किया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान जत्थेबंदियां किसी कमेटी का गठन नहीं चाहतीं, क्योंकि इससे केवल मामले को लटकाने का प्रयास होगा।

 

किसानों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी मिले, कर्ज माफी सहित अन्य लंबित मांगों को भी जल्द से जल्द पूरा किया जाए। पंधेर ने यह भी चेतावनी दी कि जैसे ही बॉर्डर खुलते हैं, किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आते ही मोदी सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग शुरू कर दिया है, जिसका ताजा उदाहरण एनआईए द्वारा बीकेयू नेता सुखविंदर कौर के घर पर की गई रेड है। इस महापंचायत में किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, जसविंदर सिंह लोंगोवाल, काका सिंह कोटड़ा, मनप्रीत सिंह, जलार सिंह, बलवंत सिंह बेहरामके, बचित्र सिंह कोटला, गुरअमनीत सिंह मांगट और अमरजीत सिंह राडा जैसे कई प्रमुख नेता भी उपस्थित थे।

 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब सरकारों से शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत के लिए समिति में तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाने के लिए कहा था। अब देखना यह है कि आगामी महापंचायतों और आंदोलनों का क्या प्रभाव पड़ता है और किसान अपनी मांगों को लेकर कितना आगे बढ़ पाते हैं।

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