मैक्लोडगंज में सड़कों के धंसने पर प्रो. महाजन की चेतावनी, ड्रेनेज सिस्टम सुधारने पर जोर

अखंड केसरी ब्यूरो :-मैक्लोडगंज में इन दिनों जगह-जगह सड़कों के धंसने की समस्या गंभीर होती जा रही है। इस पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के अर्थ एंड इन्वायरमेंट स्कूल में कार्यरत भूवैज्ञानिक प्रोफेसर अंबरीश कुमार महाजन ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि अगर मैक्लोडगंज को सुरक्षित करना है, तो सबसे पहले यहां का ड्रेनेज सिस्टम सही करना होगा। सही ढंग से रिटेनिंग वॉल का निर्माण और बहुमंजिला भवनों के निर्माण पर रोक लगाने से ही इस क्षेत्र को भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एहतियाती कदम जल्द नहीं उठाए गए तो अगले दस साल में और भी गंभीर नुकसान होने की संभावना है। प्रो. महाजन का कहना है कि भूमि धंसने की समस्या से निपटने के लिए सीवरेज सिस्टम होना अत्यंत आवश्यक है। शॉकपिट और सेप्टिक टैंक के जरिए काम चलाने से सारा पानी भूमि के अंदर चला जाता है, जो भूमि धंसने का कारण बनता है। उन्होंने यह भी बताया कि धर्मशाला में अधिक बारिश होने से लैंडस्लाइड की घटनाएं और बढ़ जाती हैं।

धर्मशाला एक भूकंप-संवेदनशील क्षेत्र है, ऐसे में बहुमंजिला भवनों के निर्माण पर रोक लगाना और छोटे निर्माण कार्यों पर ध्यान देना जरूरी है। साथ ही सड़कों के किनारे सही ढंग से रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया जाना चाहिए। जोशीमठ की घटना को उदाहरण के रूप में रखते हुए प्रो. महाजन ने बताया कि वहां जमीन के अंदर पानी था, जो क्रैक आने पर बाहर निकल आया और बड़ी तबाही का कारण बना। ऐसी ही स्थिति बरसात के मौसम में मैक्लोडगंज और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में भी देखने को मिलती है।

उन्होंने यह भी बताया कि धर्मशाला से मैक्लोडगंज तक की सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिसका मुख्य कारण भूमि में अत्यधिक पानी होना है। बरसात के समय यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि सामान्य मौसम में पानी सूख जाता है, लेकिन बरसात में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

प्रो. महाजन ने सुझाव दिया कि सड़कों के किनारे सही तरीके से ड्रेनेज सिस्टम होना चाहिए ताकि बारिश का पानी भूमि के अंदर जाने के बजाय बाहर निकल जाए। इसके साथ ही, भूवैज्ञानिकों की सलाह को ध्यान में रखकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जिससे इस समस्या को स्थिर किया जा सके और भविष्य में बड़े नुकसान से बचा जा सके।

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