ISRO Spadex De-Docking Mission Update: इसरो ने 30 दिसंबर 2024 की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र यानी शार से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च किया था। इसके बाद 16 जनवरी को इसरो ने दो उपग्रहों की सफलतापूर्वक डॉकिंग की थी।
होली से पहले इसरो ने देश को बड़ा तोहफा दिया है। इसरो ने स्पैडेक्स उपग्रह की सफलतापूर्वक अनडॉकिंग कर ली है। इसके साथ ही चंद्रयान-4 के लिए रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले इसरो ने 30 दिसंबर 2024 की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र यानी शार से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च किया था। मिशन की कामयाबी से भारतीय अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना और चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष मिशन का मार्ग प्रशस्त हो गया।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इस कामयाबी के लिए इसरों को बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘इसरो टीम को बधाई। यह हर भारतीय के लिए खुशी की बात है। स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा कर लिया गया है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान समेत भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों में काफी मदद मिलेगी। इन मिशनों को आगे बढ़ाने का मार्ग भी इससे प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर संरक्षण इस उत्साह को बढ़ाता है।’इससे पहले 16 जनवरी को भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाकर विश्व के चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया था। इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक की थी। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था, ‘भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।’ इसके साथ ही अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया था। यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे चंद्रमा पर भारतीय मिशन, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए जरूरी है।
मिशन के फायदे
- भारत की योजना 2035 में अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है। मिशन की सफलता इसके लिए अहम है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल होंगे जिन्हें अंतरिक्ष में एक साथ लाया जाएगा। इनमें पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाना है।
- यह मिशन चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है…यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा।
- यह तकनीक उन मिशनों के लिए अहम है, जिनमें भारी अंतरिक्ष यान और उपकरण की जरूरत होती है, जिन्हें एक बार में लॉन्च नहीं किया जा सकता।


