वायनाड, 10 अगस्त:- केरल राज्य इस समय प्राकृतिक आपदा के गंभीर संकट से गुजर रहा है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने केरल के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई है। राज्य का वायनाड जिला सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। यहां पर मुंडकाई गांव में शुरू हुआ भूस्खलन अब एक विनाशकारी आपदा में बदल चुका है, जिसने कई गांवों को तहस-नहस कर दिया है।
हवाई सर्वेक्षण के बाद, पीएम मोदी वायनाड जिले के चूरमाला इलाके में पहुंचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस आपदा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए केरल पहुंचे। सुबह के समय, पीएम मोदी ने राज्य में स्थिति का आकलन करने के लिए सबसे पहले हवाई सर्वेक्षण किया। उनके साथ केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री को राज्य की स्थिति और आपदा से हुए नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी।हवाई सर्वेक्षण के बाद, पीएम मोदी वायनाड जिले के चूरमाला इलाके में पहुंचे, जहां भूस्खलन ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों का निरीक्षण किया और वहां के हालात का जायजा लिया। प्रधानमंत्री ने स्थानीय अधिकारियों और बचाव दल के सदस्यों से मुलाकात की और उनकी मेहनत की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने इस पूरी तबाही को अपनी आंखों से देखा
30 जुलाई को मुंडकाई गांव में अचानक हुए भूस्खलन ने गांव को बुरी तरह से प्रभावित किया था। चट्टानों, पत्थरों और मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर चूरमाला तक लुढ़क गए, जिससे कई मकान तबाह हो गए और कई लोग मलबे में दब गए। इस भूस्खलन ने इलाके की संरचना को ही बदल दिया। प्रधानमंत्री ने इस पूरी तबाही को अपनी आंखों से देखा और इरुवानीपझा नदी के किनारे की तबाही ने उनकी आंखें नम कर दीं। इस क्षेत्र का दौरा करने के बाद, उन्होंने स्थानीय निवासियों से भी मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ खड़ी है।
भूस्खलन की वजह से मुंडकाई और चूरमाला सहित कई स्थान अन्य इलाकों से पूरी तरह से कट गए थे। इरुवानीपझा नदी पर बना पुल भी इस आपदा में पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस वजह से इलाके में राहत और बचाव कार्यों में कठिनाइयां आ रही थीं। कई जगहों पर सड़कों का भी नामोनिशान मिट चुका था, जिससे प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल हो गया था।
ऐसी स्थिति में, सेना के दक्षिणी कमान के इंजीनियरिंग सेक्शन ने बेली ब्रिज बनाने का बीड़ा उठाया। 31 जुलाई की शाम को इस पुल के निर्माण का कार्य शुरू किया गया और अगले 31 घंटे में ही यह बेली ब्रिज बनकर तैयार हो गया। 120 फुट लंबे इस पुल ने वायनाड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों को अन्य इलाकों से जोड़ दिया, जिससे राहत और बचाव कार्यों में तेजी आई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बेली ब्रिज का दौरा भी किया और सेना के जवानों और इंजीनियरों की इस उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस पुल के बनने से राहत और बचाव कार्यों में जो गति आई है, वह अद्वितीय है। पीएम मोदी ने स्थानीय निवासियों से मिलकर उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया और कहा कि सरकार इस आपदा से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केरल इस समय बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा कि केरल के लोगों की हिम्मत और जज्बे की सराहना की जानी चाहिए, जो इतनी बड़ी आपदा के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारे हैं। उन्होंने कहा कि पूरा देश इस कठिन समय में केरल के साथ खड़ा है।


