अखंड केसरी ब्यूरो :-लोकसभा में आम बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के भाषण को लेकर जमकर हंगामा हुआ। अपने तीखे और विवादित भाषण के दौरान गांधी ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए और बजट को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बजट बनाने वाली टीम में ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय की भागीदारी पर सवाल उठाया, जिसे लेकर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जताई। राहुल गांधी ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बजट तैयार करने वाले 20 अधिकारियों में से केवल दो ही ओबीसी या अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जो कि एक गंभीर कमी है। उनके इस बयान पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक मिनट के लिए झेंप गईं और उन्होंने अपने माथे को पकड़ा। यह दृश्य अपने आप में काफी महत्व रखता है क्योंकि यह दर्शाता है कि गांधी के आरोपों ने वित्त मंत्री को कितनी असहज स्थिति में डाल दिया।
बजट के बाद हलवा समारोह की तस्वीरें दिखाने की अनुमति मांगी
राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान स्पीकर ओम बिड़ला से बजट के बाद हलवा समारोह की तस्वीरें दिखाने की अनुमति मांगी, लेकिन स्पीकर ने उनके इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद, गांधी ने इस तस्वीर के बारे में बताते हुए कहा कि केंद्रीय बजट 2024 तैयार करने वाले अधिकारियों में से अधिकांश का प्रतिनिधित्व अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं है और वे तस्वीर में भी मौजूद नहीं हैं। उनका कहना था कि यह दिखाता है कि बजट बनाने में विविधता का अभाव है और यह मुद्दा लोकतांत्रिक प्रक्रिया की प्रासंगिकता पर सवाल उठाता है।

रिजिजू ने यह भी कहा कि गांधी के भाषण में पेपर लीक मुद्दे का उल्लेख नहीं करना सरकार की आलोचना
इस भाषण के दौरान सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। गांधी के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सत्ता पक्ष के सदस्य किरेन रिजिजू ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी सदन के नियमों को नहीं जानते और वे अध्यक्ष को चुनौती दे रहे हैं। रिजिजू ने यह भी कहा कि गांधी के भाषण में पेपर लीक मुद्दे का उल्लेख नहीं करना सरकार की आलोचना का एक तरीका था। इस मुद्दे पर बात करते हुए गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में देश में पेपर लीक के 70 मामले सामने आए हैं और इस विषय पर सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
आरोपों ने बजट पर चल रही चर्चा को एक नए मोड़ पर
सदन के भीतर हंगामे का माहौल बना रहा, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। गांधी के बयान ने न केवल सदन के अंदर, बल्कि मीडिया और जनता के बीच भी हलचल मचा दी। उनके आरोपों ने बजट पर चल रही चर्चा को एक नए मोड़ पर ले जाकर इसे अधिक विवादित बना दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि बजट के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद कितना गहरा हो सकता है और यह कि कैसे एक भाषण पूरे सदन की दिशा और को प्रभावित कर सकता है।
बजट चर्चा को न केवल एक राजनीतिक ड्रामा
लोकसभा में बजट पर चर्चा करते समय इस तरह के हंगामे और विवाद आम हैं, लेकिन राहुल गांधी का भाषण विशेष रूप से इस कारण से सुर्खियों में रहा कि उन्होंने सरकार की नीतियों और प्रक्रियाओं को सीधे तौर पर चुनौती दी। इसने पूरे बजट चर्चा को न केवल एक राजनीतिक ड्रामा में बदल दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच की खाई कितनी गहरी हो गई है। इस घटनाक्रम ने यह भी साबित कर दिया कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और विवाद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो कभी-कभी महत्वपूर्ण मुद्दों को भी हाशिये पर डाल सकते हैं।


