तीन साल बाद कर्तव्य पथ पर पंजाब की झांकी निकाली गई। पंजाब मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए झांकी में एक जोड़ी बैलों को दिखाया गया, जो राज्य के कृषि पहलू को दर्शाते हैं।
चंडीगढ। गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर तीन साल बाद पंजाब की झांकी देखने को मिली। पंजाब की झांकी ने राज्य को ज्ञान और बुद्धि की भूमि के रूप में प्रदर्शित किया। इस झांकी में पंजाब की समृद्ध हस्तकला और संगीत विरासत को बेहद खूबसूरती से दर्शाया गया। इस झांकी में ग्रामीण पंजाब की झलक दिखाई गई थी। पंजाब की झांकी सूफी संत बाबा शेख फरीद जी को समर्पित थी। झांकी में राज्य के पारंपरिक इनले-डिजाइन कौशल और खूबसूरत हस्तशिल्प का अद्भुत समावेश देखा गया।
गुरु ग्रंथ साहिब में भी बाबा शेख फरीद का समावेश
झांकी के ट्रेलर भाग में पंजाब के महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी को दिखाया गया, जिन्हें गंज-ए-शक्कर (मिठास का भंडार) के रूप में जाना जाता है। उन्हें एक पेड़ की छाया में बैठकर भजन रचते हुए दिखाया गया, जिनका समावेश गुरु ग्रंथ साहिब में भी है। बाबा शेख फरीद को पंजाबी भाषा का पहला कवि माना जाता है, जिन्होंने इसे साहित्यिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा दिलाई।
कृषि और हस्तशिल्प का प्रदर्शन
पंजाब एक प्रमुख कृषि प्रधान राज्य है, जिसे झांकी में बैलों की जोड़ी और हल के माध्यम से दर्शाया गया। झांकी के निचले हिस्से में सुंदर दरी की डिजाइनों ने इस रचना को और भी आकर्षक बना दिया।
संगीत और लोक कला का जादू
झांकी में पंजाब की समृद्ध संगीत विरासत को भी प्रस्तुत किया गया। एक पारंपरिक वेशभूषा में सजे व्यक्ति को तूम्बी और ढोलक के साथ दिखाया गया, जबकि खूबसूरती से सजाए गए मिट्टी के बर्तन (“घड़ा”) भी शामिल किए गए।
फुलकारी का जादू
एक पारंपरिक परिधान में महिला को हाथों से कपड़ा बुनते हुए दिखाया गया, जो फूलों के सुंदर डिजाइनों से सजी फुलकारी कला का प्रदर्शन करती है। यह लोक कढ़ाई कला दुनियाभर में प्रसिद्ध है। पंजाब की यह झांकी राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ ज्ञान, संगीत, और कला का अनोखा संगम पेश करती है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।