हादसा चमोली के माणा गांव के नजदीक 28 फरवरी की सुबह 7:15 बजे हुआ। मोली-बद्रीनाथ हाईवे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के 55 मजदूर कंटेनर हाउस में रुके थे, तभी बर्फ का पहाड़ खिसक गया। सभी मजदूर इसकी चपेट में आ गए। रेस्क्यू में सेना के 4 हेलिकॉप्टर के अलावा ITBP, BRO, SDRF और NDRF के 200 से ज्यादा जवान लगे हुए हैं।
माणा तिब्बत सीमा पर भारत का आखिरी गांव

फंसे मजदूरों में सबसे ज्यादा बिहार और उत्तर प्रदेश के
फंसे 55 मजदूरों में बिहार के 11, उत्तर प्रदेश के 11, उत्तराखंड के 11, हिमाचल प्रदेश के 7, जम्मू-कश्मीर के 1 और पंजाब के 1 मजदूर शामिल हैं। 13 मजदूरों का पता और मोबाइल नंबर नहीं है।
उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने आज सुबह घटनास्थल का दौरा किया और मजदूरों से मुलाकात की। इससे पहले CM से प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत की और रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया।
घायलों को सिर में गंभीर चोटें
ITBP कमांडेंट विजय कुमार पी ने कहा कि जिन मजदूरों की हालत गंभीर रही, उन्हें गंभीर हेड इंजरी थी। 25 से ज्यादा घायलों का जोशीमठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें…









ITBP की 23वीं बटालियन मजदूरों के रेस्क्यू में जुटे हुए हैं।
हादसे में फंसे 55 लोगों की लिस्ट…

4 लोगों की हालत गंभीर शुक्रवार को रेस्क्यू किए गए सभी मजदूरों को माणा गांव में आईटीबीपी कैंप लाया गया है। यहां उनका इलाज चल रही है। 4 लोगों की हालत गंभीर है। हादसे को लेकर उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने SDRF के अधिकारियों के साथ बैठक की। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने घटना को लेकर उत्तराखंड के CM, सेना, ITBP और NDRF के अधिकारियों से बातचीत की।
सफोकेशन और हाइपोथर्मिया फ्रैक्चर की संभावना बड़ा सवाल यह है कि बर्फ में दबे मजदूर कितनी देर तक जिंदा रह सकते हैं। चीफ कंसलटेंट सर्जन राजीव शर्मा ने बताया कि बर्फ में दबे होने से सफोकेशन के कारण मौत होती है। हाइपोथर्मिया फ्रैक्चर भी मौत का कारण बनता है। ज्यादा देर तक बर्फ में दबे रहने से जान जा सकती है।


