अखंड केसरी ब्यूरो:- एक जुलाई 2024 से देशभर में पुराने आपराधिक कानूनों की जगह तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे दंड आधारित न्याय प्रणाली के लिए बने पुराने कानूनों को हटाकर अब तीन नए कानून पूरे देश में प्रभावी होंगे। ये तीन नए कानून हैं भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, जो एक जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इन नए कानूनों को लेकर बताया कि यह कदम देश की न्याय प्रणाली में बड़ा परिवर्तन लाने वाला है। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों की जगह लाए जा रहे ये नए कानून हमारे संविधान की तीन मूल भावनाओं – व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सभी के साथ समान व्यवहार के सिद्धांतों के आधार पर बनाए गए हैं।
आशुतोष कुमार सण्ड, जो इलाहाबाद हाई कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता हैं, ने बताया कि अंग्रेजों के समय की 150 साल पुरानी दंड आधारित न्याय प्रणाली को अब भारत सरकार ने न्याय आधारित बनाया है। इस परिवर्तन का उद्देश्य है कि न्याय प्रक्रिया अधिक संवेदनशील और आधुनिक हो, जो समाज के हर वर्ग के लिए समान रूप से न्याय सुनिश्चित कर सके। पुराने कानूनों के स्थान पर लाए गए ये नए कानून न केवल अधिक प्रगतिशील हैं बल्कि वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाए और न्याय प्रणाली को अधिक मानवीय और न्यायपूर्ण बनाया जाए।
राधा कांत ओझा, जो इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं, ने भी इस बदलाव पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि इन नए कानूनों से भारतीय न्याय प्रणाली में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। यह कदम देश की न्याय व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। ओझा ने जोर देकर कहा कि यह बदलाव न केवल विधिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में न्याय के प्रति विश्वास को भी मजबूत करेगा।
इस प्रकार, 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाले ये नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होंगे, जिससे न केवल कानूनी प्रक्रियाओं में सुधार होगा बल्कि आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित होगी।


