अखंड केसरी ब्यूरो :- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा रहा है। दोनों ही क्षेत्रों में लोकतंत्र की महक महसूस की जा सकती है, जहाँ मतदाता अपने प्रतिनिधियों के चयन के लिए तैयार हो रहे हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाएंगे, जबकि हरियाणा में यह प्रक्रिया एक ही चरण में सम्पन्न होगी।
जम्मू-कश्मीर में पहला चरण 18 सितंबर को, दूसरा चरण 25 सितंबर को, और तीसरा तथा अंतिम चरण 1 अक्टूबर को होगा। हरियाणा में एकल चरण का मतदान 1 अक्टूबर को ही होगा। मतगणना की प्रक्रिया 4 अक्टूबर को आरंभ होगी, जब दोनों राज्यों के लोगों के फैसले का परिणाम सामने आएगा।
जम्मू-कश्मीर में इस बार के चुनाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यहाँ की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में कई बदलावों से गुजरी है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। जम्मू-कश्मीर के 87 लाख से अधिक मतदाता 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए अपने नेताओं का चुनाव करेंगे। इस केंद्रशासित प्रदेश में मतदान को सुचारु और पारदर्शी ढंग से कराने के लिए 11,800 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर मतदाता, अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और आने वाले समय के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी बताया कि चुनाव आयोग ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का दौरा किया और दोनों ही जगहों पर चुनावी तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि चुनाव के प्रति जनता में जबरदस्त उत्साह देखा गया। यह उत्साह केवल चुनाव आयोग को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को यह संदेश दे रहा है कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लोग अपने भविष्य को लेकर सजग हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में लंबी कतारें देखने को मिलीं, जो इस बात का प्रमाण है कि लोग लोकतंत्र की प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहते हैं।
राजीव कुमार ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब बुलेट के बजाय मतपत्र को अपना हथियार बना रहे हैं। यह बदलाव लोगों की सोच में हुए सकारात्मक परिवर्तन को दर्शाता है। अब वहाँ के लोग अपने भाग्य का फैसला खुद करने के लिए उत्सुक हैं। उनका मानना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेकर वे अपने भविष्य को सही दिशा दे सकते हैं।
हरियाणा के चुनाव पर नजर डालें तो वहाँ दो करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके लिए राज्य भर में 20,000 से अधिक मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। हरियाणा में भी चुनाव को लेकर जनता के बीच भारी उत्साह देखा जा रहा है। लोगों का मानना है कि इस बार का चुनाव राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है। उम्मीदवारों के चयन, प्रचार की योजनाओं और जनसंपर्क अभियानों में तेजी आ गई है। राजनीतिक दल अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, और मतदाता भी उम्मीदवारों के वादों और घोषणाओं पर अपनी पैनी नजर रखे हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा, दोनों ही राज्यों में चुनाव परिणामों का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है। इन चुनावों के परिणामों से यह भी संकेत मिलेगा कि केंद्र सरकार की नीतियाँ इन क्षेत्रों में कितनी कारगर साबित हुई हैं।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आएंगी, राजनीतिक गर्मी और बढ़ेगी। सभी की नजरें अब 18 सितंबर से 4 अक्टूबर तक होने वाली इस चुनावी प्रक्रिया पर टिकी हैं। इन चुनावों के नतीजे ही यह तय करेंगे कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का भविष्य किस दिशा में अग्रसर होगा। जनता अब अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है, और अब यह देखना होगा कि चुनाव के दिन वे किसे अपना प्रतिनिधि चुनते हैं।


