नई दिल्ली: मॉनसून सत्र के दौरान एक बार फिर संसद की कार्रवाही शुरू हो गई है। लेकिन एक बार फिर जया बच्चन को लेकर राज्यसभा में बवाल हो गया है। दरअसल, कुछ दिन पहले घनश्याम तिवारी ने LOP (विपक्ष के नेता) पर असंसदीय टिप्पणी की थी, जिस पर विपक्ष ने कड़ा एतराज जताया था और नोटिस दिया था। आज संसद की कार्रवाही के दौरान इस मुद्दे को विपक्ष ने फिर से उठाया। इस दौरान, जब जया बच्चन ने इस मुद्दे पर कुछ बोलने की कोशिश की, तो राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने उनकी ओर टिप्पणी की, जिससे सदन का माहौल गर्मा गया।
बच्चन से कहा कि, “यू मे बी ए सेलिब्रिटी बट
धनखड़ ने जया बच्चन से कहा कि, “यू मे बी ए सेलिब्रिटी बट…” इसके बाद, विपक्ष के सांसदों ने इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई और सदन से वॉकआउट कर दिया। तृणमूल कांग्रेस के सांसद तिरुचि शिवा और सपा सांसद जया बच्चन ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण का समर्थन किया। जया बच्चन ने कहा कि चेयरमैन का लहजा “स्वीकार्य नहीं है” और यह सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं है।
मैं यहां कोई स्कूल नहीं चलाना चाहता
धनखड़ ने अपने पक्ष का बचाव करते हुए कहा कि, “आपने वह नहीं देखा जो मैं यहां से देख रहा हूं।” उन्होंने आगे कहा कि, “मैं यहां कोई स्कूल नहीं चलाना चाहता, लेकिन सदन की मर्यादा बनाए रखना मेरी जिम्मेदारी है।” यह सुनते ही विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
विपक्ष के विरोध प्रदर्शन पर कड़ा रुख
सभापति ने इस दौरान कहा, “आप पूरे देश को अस्थिर करना चाहते हैं।” उन्होंने विपक्ष के विरोध प्रदर्शन पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “खड़गे जी, मैं इस सदन को अशांति का केंद्र बनने नहीं दूंगा।” उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे संविधान की कीमत पर अपना रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
विपक्ष ने इस विरोध के चलते राज्यसभा से वॉकआउट किया और इसे “दुखद दिन” करार दिया। इस पर चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह देश के लिए एक चिंताजनक स्थिति है। उन्होंने कहा, “दुनिया हमें पहचान रही है और हम एक विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन विपक्षी दल इसमें बाधा डालना चाहते हैं।”
धनखड़ ने सदन में कहा, “भारत अपने तीसरे कार्यकाल में लगातार नेतृत्व कर रहा है और इतिहास बना रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसे विश्वभर में मान्यता मिल रही है। लेकिन विपक्ष के इस रवैये से देश की छवि धूमिल हो रही है।
संसद के इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से सरकार और विपक्ष के बीच की खाई को गहरा कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है, जबकि सरकार का कहना है कि विपक्ष विकास कार्यों में बाधा डाल रहा है।
इस पूरे प्रकरण ने राजनीति में गरमाहट ला दी है और आने वाले दिनों में इसके और भी बड़े परिणाम देखने को मिल सकते हैं। अब देखना होगा कि संसद की कार्रवाही कैसे आगे बढ़ती है और सरकार तथा विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर क्या सुलह होती है। इस समय संसद में जो माहौल बना है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है, जिसमें दोनों पक्षों को धैर्य और समझदारी से काम लेने की जरूरत है।


