अखंड केसरी ब्यूरो:-संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला तुल पकड़ता जा रहा है। गोड्डा जिले के करगिल चौक और महगामा में आदिवासी संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों में भारी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ अपनी नाराजगी और आक्रोश जताते हुए सरकार से तुरंत और सख्त कार्रवाई की मांग की।
युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे
आदिवासी संगठनों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए न केवल स्थानीय संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं, बल्कि वे स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन घुसपैठियों के कारण स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, जिससे बेरोजगारी और असंतोष बढ़ रहा है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचान कर उन्हें तुरंत वापस भेजा जाए
महगामा में आयोजित प्रदर्शन के दौरान, आदिवासी नेताओं ने अपने भाषणों में सरकार से मांग की कि वह नागरिकता कानून का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचान कर उन्हें तुरंत वापस भेजा जाना चाहिए। आदिवासी समाज ने यह भी मांग की कि सरकार भू-माफियाओं पर नकेल कसे, जो कि इन घुसपैठियों को बसाने में मदद कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने पाकुड़ में छात्रों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर भी आक्रोश जताया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई अन्यायपूर्ण है और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान, आदिवासी संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल गोड्डा या महगामा का नहीं है, बल्कि पूरे संताल परगना क्षेत्र का है। अगर सरकार ने तुरंत और प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और भी व्यापक हो सकता है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण उनकी सुरक्षा को खतरा
गोड्डा के करगिल चौक पर हुए प्रदर्शन में महिलाओं और बच्चों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी रही। उन्होंने तख्तियां और बैनर लेकर बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ नारे लगाए और अपनी मांगों को दोहराया। महिलाओं ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण उनकी सुरक्षा को खतरा है और वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
महगामा में आयोजित प्रदर्शन में आदिवासी नेताओं ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को समर्थन देने वाले स्थानीय लोगों और अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग आदिवासी समाज के दुश्मन हैं और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रदर्शन के बाद, आदिवासी संगठनों ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनकी मांगों को स्पष्ट रूप से लिखा गया था। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और जल्द से जल्द कार्रवाई करे।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठा रहे हैं, लेकिन अगर उनकी मांगों को अनदेखा किया गया, तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज अपने हक और अधिकारों के लिए किसी भी तरह का बलिदान देने को तैयार है।
गोड्डा में हुए इस प्रदर्शन ने एक बार फिर से बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को प्रमुखता से सामने ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और आदिवासी समाज की मांगों को कैसे पूरा करती है।
आदिवासी संगठनों के इस प्रदर्शन ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को गंभीरता से ले और तुरंत कार्रवाई करे। अगर सरकार ने आदिवासी संगठनों की मांगों को नहीं माना, तो यह आंदोलन और भी व्यापक और उग्र हो सकता है।


