तरनतारन। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को बड़ा झटका लगा है। तरनतारन से तीन बार विधायक रहे हरमीत सिंह संधू को आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए हैं। संधू के आप में शामिल होने के बाद सियासी समीकरण बदले नजर आ रहे हैं। सियासी माहिरों की मानें तो तरनतारन में होने वाले उपचुनाव में वह आप के प्रत्याशी हो सकते हैं। हालांकि आप से संबंधित कई नेता संधू की पार्टी में एंट्री से पहले ही हाय तौबा मचा रहे थे। माझे की सियासत में केंद्र रहे कैरों परिवार की अगुवाई में संधू वर्ष 1998 में सियासत में कूदे थे। 2002 में आजाद तौर पर, 2007 में शिअद की टिकट पर व 2012 में संधू ने तीसरी बार तरनतारन से जीत दर्ज करवाई थी। वह दो बार बादल की सरकार में सीपीएस भी रहे।
आठ महीने पहले छोड़ी थी पार्टी
सीएम मान ने भेजा था अपना चौपर
मंगलवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरमीत सिंह संधू को आप में शामिल करते नए सियासी समीकरण पैदा कर दिए। संधू की पार्टी में एंट्री वीआईपी ढंग से हुई। उनको चंडीगढ़ आने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपना चोपर भेजा। कहा जाता है कि संधू को पार्टी में शामिल करने से पहले भगवंत मान ने टीम के माध्यम से सर्वे करवाया। बता दें कि आप के विधायक डॉ. कश्मीर सिंह सोहल का कैंसर रोग के कारण देहांत हो गया था, जिसके चलते तरनतारन सीट खाली घोषित की गई थी।
आप सरकार के काम से प्रभावित हूं- संधू
इस मौके पर हरमीत संधू ने कहा कि करीब 30 वर्षों से वह सियासत में हैं और हर बार तरनतारन के लोगों ने मुझे पूरा प्यार और सम्मान दिया। लेकिन अब हालात काफी बदल चुके हैं। 2002 में मुझे लोगों ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर करीब 7000 वोटों से जिताया। आप सरकार की साफ नीति और नियत ने मुझे आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। मान सरकार ने पिछले तीन वर्षों में अच्छी नीति और साफ नीयत के साथ पंजाब के विकास के लिए काम किया है। इसलिए मेरा भी फर्ज बनता है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान का सहयोग करें और सरकार के साथ मिलकर अपने इलाके का विकास करें। इसके मैं मान सरकार द्वारा विधानसभा में बेअदबी के खिलाफ सख्त कानून लाने के फैसले से भी बेहद प्रभावित हूं। यह कानून लाना पंजाब और सिख संगतों के लिए बहुत जरूरी था।


