अभी किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ-किसान नेता, डल्लेवाल जालंधर पिम्स में करवाया गया भर्ती

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भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने शंभू और खनौरी बॉर्डर को खाली करने और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में वीरवार को पंजाब भर में केंद्र और पंजाब सरकार के पुतले फूंककर रोष प्रदर्शन करने का एलान किया है।

चंडीगढ़।  एक साल से ज्यादा समय से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर पुलिस ने बुधवार रात कार्रवाई करते हुए किसानों को खदेड़ दिया है। आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और मजदूर किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर समेत 200 से ज्यादा किसानों को हिरासत में लिया गया है। डल्लेवाल को जालंधर के पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पिम्स) में दाखिल करवाया गया है। अन्य हिरासत में लिए गए किसानों को पटियाला में बनाए अस्थायी हिरासत केंद्र में रखा गया है।

वहीं अब किसान नेता तेजवीर सिंह ने कहा कि अभी आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। बहुत से किसान नेताओं को पुलिस पकड़ नहीं पाई है। जल्द ही आगे की रणनीति की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र के इशारे पर पंजाब सरकार ने यह कार्रवाई की है।

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने शंभू और खनौरी बॉर्डर को खाली करने और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में वीरवार को पंजाब भर में केंद्र और पंजाब सरकार के पुतले फूंककर रोष प्रदर्शन करने का एलान किया है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि वीरवार को उगराहां यूनियन के सदस्य गांवों से लेकर तहसील और जिला स्तर (जहां भी यूनियन सदस्यों को सुविधा हो) पर सरकार के पुतले फूंककर रोष प्रदर्शन करेंगे।

उगराहां ने कहा कि दिल्ली जाने से रोकना गलत है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है और किसानों को इससे वंचित रखा गया है। किसानों को धरने को उठाने का तरीका गलत है। किसानों को इस संबंधी अल्टीमेटम दिया जाना चाहिए था। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सारी कवायद लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा मानी जा सकती है। दोनों ही सरकारों ने लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया है और उगराहां यूनियन इसका डटकर विरोध करेगी।

पंजाब में व्यापार और कारोबार हो रहा था प्रभावित- चीमा

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि शंभू व खनौरी बॉर्डर पिछले डेढ़ साल से किसान धरना दे रहे थे। किसानों की मांगें केंद्र सरकार से है, लेकिन धरना पंजाब में दिया जा रहा था। इसलिए यह बड़ी समस्या बन रही थी। हाइवे पर बैठे किसानों की वजह से पंजाब का व्यापार रुक गया था। इस वजह से युवओं को रोजगार नहीं मिल रहा था। ऐसे में युवा पीढ़ी नशे की तरफ जा रही थी। सरकार ने पंजाब के युवाओं को नशे के दलदल से निकालने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हम किसानों के साथ खड़े हैं, आप धरना दिजिए पर सड़कों को प्रभावित नहीं किजिए।

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