किसान महापंचायत के बाद डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ी

हरियाणा-पंजाब सीमा के खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल 41 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं। बीते दिन किसान महापंचायत में पहुंचने के बाद उनकी तबीयत और बिगड़ गई। जानकारी मिलने के बाद आज पूर्व डीआईजी नरेंद्र भार्गव डल्लेवाल से मिलने खनौरी पहुंचे।

शनिवार को खनौरी में किसान महापंचायत के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ गई। डॉक्टरों की टीम के अनुसार, 11 मिनट के संबोधन के बाद डल्लेवाल को चक्कर और उल्टी होने लगी। उनका ब्लड प्रेशर गिरने के कारण स्थिति खराब हो गई। वहीं पटियाला की एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (ग्रामीण विकास) अनुप्रिता जौहल और पातड़ां एसडीएम अशोक कुमार खनौरी बॉर्डर पहुंचे। जहां उन्होंने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत की जानकारी ली।

संबोधन के बाद डल्लेवाल को तुरंत उनके टेंट में ले जाया गया। सूचना मिलते ही पूर्व डीआईजी नरिंदर भार्गव, जो किसान नेता के साथ बैकचैनल वार्ता में शामिल हैं, खनौरी पहुंचे। स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी स्टैंडबॉय पर रखा गया। महापंचायत से पहले, शुक्रवार शाम डल्लेवाल ने ब्लड, यूरिन और ईसीजी टेस्ट कराए थे। रिपोर्ट्स में स्वास्थ्य स्थिर पाया गया, जिसके बाद उन्हें एम्बुलेंस से मंच तक ले जाया गया। फिलहाल उनकी स्थिति पर डॉक्टर नजर रखे हुए हैं।

9 मिनट के भाषण में डल्लेवाल ने कहीं थी तीन बातें

1. यह सब भगवान की मर्जी है- किसान नेता डल्लेवाल ने राम-राम कहकर संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा- जो मैं लड़ाई लड़ रहा हूं, यह लड़ाई मैं नहीं लड़ रहा, यह सिर्फ एक शरीर दिख रहा है लड़ाई लड़ते। यह ऊपर वाले की मर्जी है। जिसे भगवान चाहता है, उसे ही मनुष्य का शरीर देता है। उसी की मर्जी से हो रहा है, जो हो रहा है।

2. मोर्चा जीत कर रहेंगे- पुलिस ने मुझे यहां से उठाने का प्रयास किया। जब लोगों को पता चला तो पंजाब-हरियाणा से सैकड़ों नौजवान हमारे पास पहुंचे और मोर्चा संभाला। आज जो लोग मोर्चे पर पहुंचे हैं, यह सिर्फ ऊपर वाले की कृपा है। सरकार जितना मर्जी जोर लगा ले, हम मोर्चा जीत कर ही रहेंगे।

3. किसानों की आत्महत्या पर रोक जरूरी- किसानों की सुसाइड की घटनाओं पर अंकुश लगना जरूरी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 4 लाख किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन असल आंकड़ों में अब तक 7 लाख से ज्यादा किसान दम तोड़ चुके हैं। मेरी किसानों से अपील है कि बड़ी संख्या में आगे आएं, जिससे आंदोलन को बल मिल सके।

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