पितृपक्ष पर हवन-यज्ञ में विशेष आहुतियां डलवाई गई
जालंधर/विजयपाल सिंह
मां बगलामुखी धाम
गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान प्रवीण से पूर्ण विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई। हवन-यज्ञ में पूर्ण आहुति उपरांत आए हुए भक्तजनों से अपनी बात कहते हुए मां बगलामुखी धाम के सेवादार नवजीत भारद्वाज ने कहा कि इंसान सुख के लिए संसार में भटकता है। सांसारिक माया-मोह में सुख खोजता है लेकिन माया के जाल में उलझ जाता है। जीवन में सच्चा सुख तो ईश्वर की शरण में मिलता है। उन्होंने कहा कि जो इंसान भगवान की शरण में आता है उसे जीवन का सच्चा सुख मिलता है। अपने आप को ईश्वर को सौंप दो फिर ईश्वर सारे सुख आपको देगा और आपके दु:ख हर लेगा। ईश्वर मानने का विषय है, जानने का नहीं। हम अगर ईश्वर को जानने का प्रयास करेंगे तो वह नहीं मिलेगा। हम उसे मानें और शरणागत हो जाएं। भारद्वाज जी ने कहा कि मानव जीवन का प्रथम और अंतिम लक्ष्य है ईश्वर की प्राप्ति। भगवान का भजन व सुमिरण केवल मनुष्य शरीर में ही हो सकता है। पति-पत्नी और बच्चों से प्यार करने वाली बुद्धि तो पशु पक्षियों को भी मिली है, लेकिन ईश्वर से प्यार करने वाली बुद्धि केवल मनुष्य को ही मिली है। मनुष्य शरीर को पाकर हम ईश्वर की भक्ति कर सकते है, जिसके परिणामस्वरुप हम उस परम पद को प्राप्त कर सकते है जोकि अगम्य है। मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी निर्मल बुद्धि से ईश्वर का सुमिरन करे। नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि ईश्वर को हम मोल ले सकते है, लेकिन पैसों से नहीं। इसके तीन प्रकार है तप-जप-योग। ईश्वर को मिले बिना कभी भी शाति नहीं होगी। ईश्वर की प्राप्ति के लिए यदि कुछ छोडऩा पड़े तो छोड़ देना चाहिए, लेकिन ईश्वर को कदापि नहीं छोडऩा चाहिए। इस अवसर पर भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे। हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।


