लकड़ी माफिया : होशियारपुर में खैर के पेड़ों की चोरी और तस्करी 

पंजाब के होशियारपुर के ब्लॉक तलवाड़ा के अधीन पड़ते कंडी के अंतर्गत सरकारी व गैर सरकारी वन क्षेत्र में खैर के पेड़ों की चोरी हुई है। ग्राम पंचायत वरिंगली की जमीन से खैर के पेड़ काटे गए हैं।

 तलवाड़ा (होशियापुर)। पंजाब के होशियारपुर में खैर के पेड़ों की चोरी और तस्करी की घटनाएं थम नहीं रही हैं। होशियारपुर के ब्लॉक तलवाड़ा के अधीन पड़ते कंडी के अंतर्गत सरकारी व गैर सरकारी वन क्षेत्र में खैर के पेड़ों की चोरी की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। खैर के पेड़ों की चोरी का ताजा मामला ग्राम पंचायत वरिंगली की में सामने आया है। यहां पंचायत की जमीन से पांच खैर के पेड़ काटे गए हैं।
गांव वरिंगली के सरपंच विनोद कुमार ने बताया कि उनकी पंचायत की जमीन जो खड्ड स्वां दरिया के साथ लगती है। वहां से पांच खैर के पेड़ किसी ने काट कर चोरी कर लिए। सरपंच विनोद ने तुरंत खैर चोरी होने की लिखित शिकायत वन विभाग तलवाड़ा व ब्लॉक पंचायत अफसर को दी है। अभी तक खैर चोरी करने वाले आरोपी वन विभाग व पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।

क्षेत्र में हुई पेड़ चोरी होने की कई घटनाएं

बता दें कि कंडी इलाके में पिछले काफी समय से कई ग्राम पंचायतों की सरकारी व गैर सरकारी भूमि से खैर के पेड़ चोरी होने की कई घटनाएं हो रही हैं। स्थानीय लोग जब चोरी की शिकायत वन विभाग कार्यालय में देते हैं तो विभाग तुरंत डीडीआर काट देता है। अगर चोर पकड़ा जाए तो उससे जुर्माना वसूल कर मामला खत्म कर दिया जाता है। इसी तरह से स्थानीय पुलिस भी इन मामलों में कोई खास दिलचस्पी नहीं लेती।

रात को पहुंचता है फैक्टरियों में चोरी का माल

वहीं कंडी क्षेत्र में लकड़ी आरा फैक्टरी के लाइसेंस पर चल रही कत्था फैक्ट्रियां भी चर्चा का विषय बन गई हैं। पीड़ितों के अनुसार, क्षेत्र में लकड़ी माफिया का यह कारोबार राजनेताओं और स्थानीय प्रशासन की कथित मिलीभगत से चल रहा है। यह कारोबार देर रात के अंधेरे में अक्सर किया जाता है। लकड़ी माफिया के गांवों में शरारती तत्वों से संपर्क हैं और चोरी का माल छोटे वाहनों के जरिये इन फैक्ट्रियों तक पहुंचाया दिया जाता है।

क्या बोले विभाग के अधिकारी

वन रेंज अधिकारी तलवाड़ा-2 लखविंदर सिंह ने बताया कि वरिंगली में चोरी हुए 5 खैर के पेड़ों की डैमेज रिपोर्ट काट दी गई है और आरोपियों की तलाश जारी है। उन्होंने बताया कि वहमावा और अलेरा में संचालित मात्र दो कत्था फैक्टरियां उनके कार्य क्षेत्र में स्थापित हैं, जो कि अब बंद हो चुकी हैं।

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