राहुल ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने कर्नाटक की एक सीट पर धोखाधड़ी कराई। हमारे पास इसके 100% सबूत हैं। एक ही निर्वाचन क्षेत्र में 50, 60 और 65 साल के हजारों-हजार नए वोटरों को सूची में जोड़ा गया है और 18 साल से ज्यादा उम्र के वोटरों को सूची से हटा दिया गया है।’
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘हमे अभी एक सीट की जांच में यह गड़बड़ी मिली। मुझे पूरा यकीन है कि हर सीट पर यही नाटक चल रहा है। मैं चुनाव आयोग को एक मैसेज देना चाहता हूं। अगर आपको लगता है कि आप इससे बच निकलेंगे, अगर आपके अधिकारी सोचते हैं कि वे बच जाएंगे, तो ये आपकी गलतफहमी है। हम आपको बच के जाने नहीं देंगे।’
राहुल के आरोपों पर चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा, ‘अगर इस मामले में चुनाव याचिका दायर की गई है, तो इस पर हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। अगर, याचिका नहीं लगाई गई है, तो निराधार आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं?’
चुनाव आयोग बोला- राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर सोचिए
राहुल गांधी ने यह बातें EC के उस बयान के बाद कही हैं, जिसमें बिहार में वोटरों के वेरिफिकेशन प्रोसेस का बचाव किया गया था। चुनाव आयोग ने गुरुवार को एक बयान में अपने आलोचकों से सवाल पूछा कि क्या मृत और प्रवासी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने की अनुमति देनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने पूछा, ‘रिवीजन प्रोसेस का मकसद सिर्फ अयोग्य मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाना है। क्या चुनाव आयोग के पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जा रही प्रामाणिक मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला नहीं है?’
EC ने कहा, ‘इन सवालों पर, कभी न कभी, हम सभी को और भारत के सभी नागरिकों को, राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर, गहराई से सोचना होगा। और शायद आप सभी के लिए यह सोचने का सबसे अच्छा समय अब आ गया है।’
EC ने बताया है कि बिहार में 99% वोटरों को SIR के तहत वेरिफाई कर लिया गया है। इनमें 21.6 लाख मृत मतदाताओं का पता चला है। 31.5 लाख वोटर्स हमेशा के लिए पलायन कर गए हैं। 7 लाख वोटर्स एक से ज्यादा जगहों पर रजिस्टर्ड हैं। वहीं, 1 लाख मतदाता लापता हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि डोर-टू-डोर वेरिफिकेशन के बावजूद, करीब 7 लाख मतदाताओं के फॉर्म अभी तक नहीं मिले हैं।


