29 मार्च को अमावस्या तिथि और इसी दिन शनिवार का दिन पड़ रहा है जिसके कारण शनि अमावस्या का दुर्लभ संयोग बन रहा है। शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज बताते हैं कि अमावस्या की तिथि पितरों और शनिदेव को समर्पित होती है।
ढाई साल बाद शनि 29 मार्च 2025 को राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। इस बार शनि कुंभ से मीन राशि में आ रहे हैं जहां पर ये साल 2027 तक इसी राशि में रहेंगे। इस बार शनि के गोचर के दौरान कई तरह के दुर्लभ संयोग का निर्माण होने जा रहा है। कई दुर्लभ संयोगों में एक संयोग अमावस्या तिथि और शनिवार भी है। 29 मार्च को अमावस्या तिथि और इसी दिन शनिवार का दिन पड़ रहा है जिसके कारण शनि अमावस्या का दुर्लभ संयोग बन रहा है। अमावस्या की तिथि पितरों और शनिदेव को समर्पित होती है। ज्योतिष में इस बहुत ही प्रभावशाली संयोग माना जा जाता है। शनि अमावस्या पर शनि के गोचर करने से कई राशि वालों को बहुत ही शुभ और अनुकूल फल की प्राप्ति होने की संभावना है।
दरअसल आपको बता दें कि इस समय शनि अभी अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में और 29 मार्च को कुंभ राशि से निकलकर गुरु की राशि मीन में प्रवेश करेंगे। शनिदेव 29 मार्च 2025 को रात के 10 बजकर 07 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मीन राशि पर देवगुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है। शनि का मीन राशि में गोचर करीब 30 साल बाद हो रहा है। आइए जानते हैं शनि के मीन राशि में गोचर करने से किन-किन राशियों के लिए आने वाला समय अच्छा होगा।
षटग्रही योग का सभी 12 राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव
मेष: खर्च बढ़ेंगे, स्वास्थ्य पर ध्यान दें, विदेश यात्रा संभव।
वृषभ: आय में बाधा, रुके काम पूरे होंगे।
मिथुन: कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है, राजनीति में सफलता।
कर्क: धार्मिक यात्रा के योग, पिता को कष्ट संभव।
सिंह: रिसर्च क्षेत्र में अवसर, दुर्घटना से बचाव जरूरी।
कन्या: व्यापार में लाभ, पार्टनर को लेकर तनाव।
तुला: स्वास्थ्य पर ध्यान दें, कोर्ट-कचहरी के योग।
वृश्चिक: विद्यार्थियों के लिए बदलाव का समय, प्रेम विवाह के संकेत भी।
धनु: वाहन सावधानी से चलाएं, संपत्ति खरीदारी के योग। परिवार में तनाव संभव। पराक्रम से विजय मिलेगी।
मकर: इस राशि के जातकों के यात्रा के योग बन रहे हैं।
कुंभ: वाणी पर संयम रखें, परिवार में तनाव संभव।
मीन: चुनौतियां रहेंगी, पराक्रम से विजय मिलेगी स्वास्थ्य का ध्यान रखें और वहां धीरे चलाएं ।
29 मार्च से कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या खत्म होगी
सिंह और धनु राशि पर शनि की ढैय्या शुरू होगी।
शनि की ढैय्या के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय जानें।
29 मार्च दिन शनिवार को शनिदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करने वाले हैं और इस दिन शनि अमावस्या भी है। साथ ही इस दिन साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है, हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। शनि ढाई वर्ष के बाद जब राशि परिवर्तन करते हैं, तब दो राशियों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरू हो जाता है और दो राशियों से ढैय्या खत्म हो जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, न्याय व कर्म के कारक ग्रह शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं, जिन जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही होती है, उनको जीवन में कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं शनि के मीन राशि में आने पर किन राशियों पर शनि की ढैय्या शुरू होने वाली है और ढैय्या के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय भी….
30 साल बाद मीन राशि में शनिदेवजैसा कि नाम से समझ में आ रहा है कि शनि की ढैय्या का मतलब ढाई वर्ष की अवधि है, जिसमें शनिदेव की दृष्टि दो राशियों पर रहती है। आमतौर पर शनि की ढैय्या से लोग काफी डरते हैं। माना जाता है कि शनि की ढैय्या जिस राशि पर होती है, उस राशि के जातकों को कई तरह के उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं और 29 मार्च को गुरु ग्रह की राशि मीन में गोचर करने वाले हैं। शनि मीन राशि में 30 साल बाद आ रहे हैं, जहां पर पहले से सूर्य, राहु, शुक्र, चंद्रमा, बुध ग्रह मौजूद हैं।
शनि की ढैय्या से होता है व्यक्तिगत विकासशनि जब किसी राशि में गोचर करते हैं, तब उस राशि से चौथे और आठवें पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुभ हो जाता है। शनिदेव कर्मों के कारक ग्रह हैं। शनि देव कर्मों के कारक ग्रह हैं और अपने प्रतिबंधात्मक प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, जिस राशि पर शनि की ढैय्या रहती है, उस राशि वालों को शनिदेव जीवन के ऐसे पाठ सिखाते हैं, जो हमें व्यक्तिगत विकास और मैच्योर बनाने की ओर आगे बढ़ने में मदद करते हैं.
इस दिन सूर्य ग्रहण भी, पर भारत में नहीं दिखेगा….
शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज ने बताया कि 29 मार्च शनि अमावस्या के दिन इस बार सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण यूरोप, उत्तरी रूस, उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका में दिखाई देगा। भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2.21 बजे स्पर्श, 4.17 बजे मध्य और शाम 6.14 बजे ग्रहण का मोक्ष होगा। किंतु भारत में दिखाई ना देने के कारण इसके सूतक, पातक और धार्मिक मान्यता नियम मान्य नहीं होंगे।
शनि की ढैय्या के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय
1- हर शनिवार के दिन एक रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिला दें. साथ ही दूध-रोटी भी दें। 2- हनुमान मंदिर में जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें। 3- शनिवार के दिन उड़द दाल, काले जूते, काला छाता आदि शनि से संबंधित चीजों का दान करें। 4- हर रोज पीपल को जल चढ़ाएं और अमावस्या के दिन पितरों को भोग भी लगाएं। 5- शनिवार का व्रत करें और शनि के बीज मंत्र ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र का तीन माला जप करें 6- माता काली के मंदिर और शनिदेव के मंदिर में नारियल अर्पित करें.7- शनि की प्रतिमा पर सरसों के तेल से अभिषेक करें।
अधिक जानकारी के लिए और उपाय जानने के लिए गुरु जी से संपर्क करें
शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज
शनि कृपा मूर्ति मंदिर रियाज पुरा सेंट्रल टाउन जालंधर (पंजाब)
9465553986/www.shanikirpamurti.com
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