कब है पहला सावन सोमवार जानें तिथि, महत्व व्रत नियम

सावन हिंदू धर्म का पवित्र महीना है शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज बताते हैं कि इस बार सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 9 अगस्त तक चलेगा. यह पूरा महीना विशेष रूप से, भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है. इस बार सावन के 4 सोमवार व्रत रखें जाएंगे. सावन के हर सोमवार को मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने के मिलती है और भोलनाथ के भक्त मंदिरों में दूध, दही, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. ऐसी मान्यताएं कि सावन के महीने में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है

सावन सोमवार व्रत लिस्ट-

सावन पहला सोमवार 14 जुलाई 2025
सावन दूसरा सोमवार 21 जुलाई 2025
सावन तीसरा सोमवार 28 जुलाई 2025
सावन चौथा सोमवार 4 अगस्त 2025

सावन के सोमवार व्रत का महत्व-
हिन्दुओं के लिए सावन के महीने का विशेष महत्व है और इन दिनों मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है. सावन महीने के हर सोमवार को व्रत रखने का प्रावधान है. माना जाता है कि इस दौरान महादेव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

सावन सोमवार व्रत नियम-
भक्त पूरे विधि-विधान से शि‍व को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का साथ व्रत रखते हैं. इस व्रत में सुबह स्नान के बाद भक्त भोलेनाथ की फल-फूल, दूध और जलाभिषेक से पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन पूरा दिन उपवास करने के बाद ही शाम को आहार ग्रहण करते हैं. दिन के समय फल और मीठी चीजों का सेवन कर सकते हैं. सावन मास में मांस मदिरा का सेवन वर्जित माना जाता है. कुछ लोग लहसुन प्याज का सेवन भी नहीं करते.

सावन सोमवार की पूजा विधि –
सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले उठें। स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध करें। स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें, विशेषतः सफेद या पीले रंग को शुभ माना जाता है। इसके बाद अपने घर के पूजा स्थान की सफाई करें और वहां गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें।

भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर रखें। एक थाली में पूजा की सारी सामग्री जैसे फूल, अक्षत (चावल), जल, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, फल और मिठाई आदि सजा लें। दीपक और अगरबत्ती भी तैयार रखें। पूजा की शुरुआत करने से पहले दाहिने हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।

शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज

अब आप शिवलिंग का अभिषेक करें। पहले गंगाजल से स्नान कराएं, फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत अर्पित करें। पुनः गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन और फूल अर्पित करें। भगवान गणेश और माता पार्वती की भी पूजा करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। चाहें तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा, रुद्राष्टक या शिव पुराण का पाठ करना भी अत्यंत पुण्यकारी होता है। धूप-दीप दिखाकर शिवजी की आरती करें।

भगवान को फल, मिठाई या जो भी आप बना सकें वह अर्पित करें। आरती के बाद सभी परिजनों में प्रसाद बांटें।
अगर आपने निर्जल व्रत रखा है, तो अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। उस दिन सात्विक भोजन करें और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।

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