जातिगत जनगणना को मंजूरी, मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट समिति ने निर्णय लिया कि अगली जनगणना में जातियों की गिनती भी की जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जनगणना फॉर्म में जाति का कॉलम जोड़ा जायेगा

अप्रैल 30, नई दिल्ली:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई राजनीतिक विषयों पर कैबिनेट समिति की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अब देश में होने वाली अगली जनगणना में जातियों की भी गिनती की जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी दी और बताया कि जनगणना फॉर्म में अब जाति का कॉलम भी जोड़ा जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि देश में कितने लोग किस जाति से संबंधित हैं।

 

 

 

मंत्री ने कांग्रेस और INDI गठबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दलों ने जातिगत जनगणना के मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 2010 में संसद में कहा था कि इस पर विचार किया जाएगा, लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हुआ, सिर्फ एक सर्वे ही कराया गया।

 

 

 

भारत में जनगणना का इतिहास बहुत पुराना है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी, जबकि स्वतंत्रता के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी। सबसे हालिया जनगणना 2011 में आयोजित हुई थी। 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना को स्थगित कर दिया गया था।

 

 

 

जातिगत आंकड़ों का महत्व इस लिहाज से है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, एससी (Scheduled Castes) की आबादी 16.6% और एसटी (Scheduled Tribes) की आबादी 8.6% थी। ओबीसी (Other Backward Classes) की 2,650 जातियों के आंकड़े भी अब सामने आ सकते हैं। 2011 में एससी जातियों की संख्या 1,270 और एसटी जातियों की संख्या 748 थी।

 

 

 

जातिगत जनगणना को लेकर जनगणना अधिनियम 1948 में संशोधन करना होगा, क्योंकि वर्तमान में इस अधिनियम में केवल एससी और एसटी जातियों की गिनती का प्रावधान है। ओबीसी की जातियों की गणना के लिए नए संशोधन की आवश्यकता होगी। यह कदम न केवल जातिगत विषमताओं को समझने में मदद करेगा, बल्कि समाज में समानता और न्याय स्थापित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

 

 

 

 

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