
सतलुज दरिया के तेज बहाव और बदले रास्ता के कारण लगातार किसानों की जमीनों में हो रहे कटाव।
SDM जसलीन कौर ने पत्र में बांध को सुरक्षित करने के लिए इंजीनियरिंग सहायता की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि सतलुज नदी में पानी के निरंतर प्रवाह के कारण मत्तेवाड़ा क्षेत्र में धूसी बांध के बाहर कृषि भूमि का लगातार कटाव हो रहा है। नदी की इस निरंतर कटाव गतिविधि के कारण किसान अपनी कीमती जमीन खो रहे हैं। प्रशासन अपनी ओर से सभी मौजूदा संसाधनों का उपयोग कर रहा है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना से तत्काल सहायता और इंजीनियरिंग विंग की तकनीकी टीम भेजने का अनुरोध किया गया है, ताकि जमीनों के निरंतर कटाव को तुरंत रोका जा सके।

बाढ़ का खतरा टलने से सुस्त पड़ गया था प्रशासन
हालत यह है कि जहां सतलुज पहले बहा करती थी, वहां दरिया सूखा पड़ा हुआ है, और जहां सतलुज अब बह रही है, वहां किसानों की जमीनें हुआ करती थी। बाढ़ का खतरा टलने के बाद प्रशासन भी थोड़ा सुस्त पड़ गया, और एनजीओज व मददगार भी वापस लौट चुके हैं लेकिन अब लाचार किसान रोज अपनी जमीनों को सतलुज में समाते हुए देख रहे हैं। लोगों ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक धुस्सी बांध के अंदर तीन सौ एकड़ व बांध के बाहर करीब सौ एकड़ जमीन पानी में समा चुकी है।

गांववासियों का कहना है कि पंजाब के दूसरे हिस्सों में तो पानी ने किनारों को पार कर तबाही मचाई लेकिन ससराली में पानी जमीन के लेवल से नीचे बह रहा है, लेकिन यहां पर नुक्सान दरिया का बहाव बदलने से हुआ। दरिया का पानी किनारों से टकराता और थोड़ी-थोड़ी देर बाद मिट्टी के तोंदे दरिया में गिरते दिखाई दे रहे हैं।



