चंडीगढ़। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के नेता सरवन सिंह पंधेर ने चंडीगढ़ में किसान मजदूर मोर्चा की बैठक के बाद प्रदर्शन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि 6 अक्टूबर को पंजाब भर में भगवंत मान सरकार और मोदी सरकार के खिलाफ प्रतीकात्मक अर्थी फूंक प्रदर्शन किए जाएंगे। पंधेर के अनुसार यह फैसला पंजाब के किसानों, खेत मजदूरों और आम लोगों के साथ हो रहे अन्याय और अनदेखी के खिलाफ लिया गया है।
मजदूरों और आम लोगों पर अन्याय
उन्होंने कहा कि पंजाब में आई भयंकर बाढ़ के बाद अब तक प्रभावित किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों, पशुपालकों और आम लोगों को सरकार की तरफ से कोई ठोस राहत नहीं दी गई। किसान संगठनों ने 70 हजार प्रति एकड़ धान का मुआवजा मांगा था, मगर सरकार ने अभी तक न तो किसी तरह की घोषणा की और न ही कोई कार्रवाई की।
गन्ने की फसल का मुआवज़ा 1 लाख प्रति एकड़ तय करने की मांग की गई है, साथ ही जिन किसानों की जमीनों में रेत भर चुकी है, उन्हें वह रेत हटाने का अधिकार दिया जाए। 5 एकड़ की मुआवजा सीमा को खत्म किया जाए और सभी प्रभावितों को पूरा मुआवजा मिले।
यह बाढ़ प्राकृतिक नहीं बल्कि ‘मैन-मेड’- पंधेर
पंधेर ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि यह बाढ़ प्राकृतिक नहीं बल्कि ‘मैन-मेड’ थी। उनका आरोप है कि डैमों में जानबूझकर पानी रोक कर रखा गया और जब छोड़ा गया तो उससे पंजाब को जानबूझकर डुबोया गया। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए ताकि सच सामने आए।
पराली के मसले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की, मगर जो मशीनें दी गईं वे काम नहीं कर रहीं। इसके बावजूद किसानों पर BNS की धारा 223 के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं, जुर्माने लगाए जा रहे हैं और पुलिस रेड की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ, जो फैक्ट्रियां और उद्योग हवा और पानी को प्रदूषित कर रहे हैं, उनके खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम में संशोधन करके 6 साल की सजा ही खत्म कर दी गई है। किसानों पर कार्रवाई और उद्योगों को राहत यह दोहरी नीति अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आंदोलन तेज करने की दी चेतावनी
पंधेर ने बताया कि डीएपी और यूरिया की सप्लाई में भी भारी कमी है, जिससे बुवाई प्रभावित हो रही है। इसके अलावा नाभा में किसानों की ओर से दर्ज करवाई गई FIR की जांच में भी टालमटोल हो रही है। करीब 2 हजार 600 एकड़ जमीन जो बाढ़ में रेत से भर चुकी है, उसे सरकार कथित रूप से बेचने की तैयारी कर रही है, जो पूरी तरह गलत है।
बासमती और नरमे की फसलें भी सरकार द्वारा उचित दामों पर नहीं खरीदी जा रही हैं और खुले बाजार में लूट मची हुई है। MSP की कोई गारंटी नहीं है, जिससे किसानों को सीधा घाटा हो रहा है। इन तमाम मुद्दों को लेकर किसान मजदूर मोर्चा ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द हल नहीं निकाला गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।



