पंजाब ब्यूरो :- गुरदासपुर में जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे के लिए ज़मीन अधिग्रहण को लेकर एक बार फिर किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तीखी बहस देखी गई।** यह मामला बहियाँ गांव का है, जहां कुछ समय पहले भी प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ अधिग्रहित ज़मीन का कब्ज़ा लेने पहुंचे थे। आज जब दोबारा अधिकारी ज़मीन पर कब्ज़ा लेने आए, तो किसानों और किसान संगठनों के नेताओं ने विरोध करते हुए काम रुकवा दिया। किसानों का कहना है कि ज़मीन अधिग्रहण को पाँच साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें पूरी मुआवज़ा राशि नहीं मिली है। ज़मीन मालिक किसान गज्जन सिंह और नरिंदर सिंह ने बताया कि लगभग 12 कनाल ज़मीन, जो साझा खाते में दर्ज है, को प्रशासन ने एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित किया था। इनमें से तीन किल्ले गज्जन सिंह के हिस्से में आते हैं जबकि 37 कनाल ज़मीन नरिंदर सिंह की है। गज्जन सिंह को अब तक कोई मुआवज़ा नहीं मिला है, वहीं नरिंदर सिंह को केवल 10 कनाल ज़मीन की राशि दी गई है। दोनों का कहना है कि पिछले पांच सालों से उनकी ज़मीन यूं ही पड़ी है—ना वे उसमें खेती कर सकते हैं, ना ही उन्हें उसका मूल्य मिला है। जब तक उन्हें पूरी मुआवज़ा राशि या फिर समतुल्य दूसरी ज़मीन नहीं दी जाती, तब तक वे प्रशासन को कब्ज़ा नहीं लेने देंगे। वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी अजय कुमार ने बताया कि वे केवल प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा हेतु पहुंचे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि ज़मीन साझा है और कुछ हिस्सेदारों को मुआवज़ा मिल चुका है, जिससे विवाद की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, किसानों का साफ कहना है कि जब तक सभी को पूरा हक नहीं मिलता, वे ज़मीन पर कार्य नहीं होने देंगे।


