राहुल गांधी ने भाजपा पर महाराष्ट्र चुनाव में धांधली का लगाया आरोप, अब बिहार में मैच फिक्सिंग होगी

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा पर सीधा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ की गई थी, जिसमें पहले से भाजपा की जीत तय करने की पूरी कोशिश की गई। राहुल गांधी ने शनिवार को अखबार The Indian Express में लिखे एक लेख में कहा, ‘भाजपा और उसके सहयोगियों ने चुनाव जीतने के लिए 5 स्टेप की प्लानिंग की थी।’ उन्होंने ये भी कहा कि महाराष्ट्र की तरह ही मैच फिक्सिंग अगली बार बिहार में होगी, फिर किसी भी राज्य में जहां भाजपा हारती दिख रही हो।’

भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को शर्मनाक बताया है। भाजपा प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने कहा, ‘राहुल फिर से देश की संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने इन मुद्दों पर पहले भी साफ-साफ जवाब दिया है।’

इलेक्शन कमीशन ने राहुल के दावों को निराधार करार दिया। आयोग ने कहा, ‘चुनाव के फैसले पक्ष में नहीं आने के बाद ऐसे आरोप लगाना बेतुके हैं। 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को भेजे अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। ऐसा लगता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते हुए इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।’

चुनाव में मैच फिक्सिंग लोकतंत्र के लिए जहर-राहुल 

  • राहुल ने कहा, ‘यह समझना मुश्किल नहीं है कि महाराष्ट्र में भाजपा इतनी बौखलाहट में क्यों थी, लेकिन हेराफेरी करना मैच फिक्सिंग जैसा है। जो टीम धोखा देती है वो भले ही जीत जाए, लेकिन इससे संस्थाएं कमजोर होती हैं और जनता का चुनावी नतीजों पर भरोसा खत्म हो जाता है। हर जिम्मेदार भारतीय को इन सबूतों को देखना चाहिए, खुद निर्णय करना चाहिए और सवाल पूछने चाहिए। मैच फिक्स करके हुए चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए जहर है।
  • ‘मैं किसी छोटे-मोटे चुनावी गड़बड़ी की बात नहीं कर रहा, बल्कि ऐसे धांधलेबाजी की बात कर रहा हूं जो बड़े स्तर पर की गई और जिसमें देश की अहम संस्थाओं को कब्जे में लेने की कोशिश की गई।’
  • राहुल ने पहला आरोप 2023 में भाजपा सरकार की तरफ से लाए गए ‘चुनाव आयुक्त नियुक्ति कानून’ को लेकर लगाया। इस कानून के जरिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में CJI की जगह एक केंद्रीय मंत्री को बैठाया गया। इससे निष्पक्षता खत्म हो गई और पूरा कंट्रोल सरकार के हाथ में चला गया।
  • ‘मुख्य न्यायाधीश को हटाकर कैबिनेट मंत्री को लाना ठीक नहीं लगता। सोचिए, कोई किसी निष्पक्ष व्यक्ति को हटाकर अपने आदमी को क्यों लाना चाहेगा? इसका जवाब अपने आप मिल जाता है।’
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