पाकिस्तान से लौटने वाले नागरिकों की वापसी अटारी बॉर्डर पर फंसी हुई है। भारत ने मानवीय आधार पर उन्हें लौटने की अनुमति दी, लेकिन पाकिस्तान अपने नागरिकों को लेने में असंवेदनशीलता दिखा रहा है।
मई 02, नई दिल्ली: – 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए थे और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया तेज़ कर दी थी। इस फैसले की समय सीमा 29 अप्रैल को समाप्त हो गई, लेकिन बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिक अभी भी भारत में मौजूद हैं। ऐसे में भारत सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्हें 1 मई से अटारी बॉर्डर के ज़रिए अपने वतन लौटने की अनुमति दे दी है।
हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने इन नागरिकों को वापस लेने में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई है। अटारी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों के असहयोग और टालमटोल वाले रवैये के कारण बुधवार को कई पाकिस्तानी नागरिकों को घंटों इंतजार करना पड़ा। इससे बॉर्डर पर भावुक और मायूस करने वाले दृश्य देखने को मिले, जहाँ लोग अपने घर लौटने की आस में खड़े हैं, लेकिन उनका ही देश उन्हें अपनाने को तैयार नहीं है।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, अगर पाकिस्तान अपने नागरिकों को वापस नहीं लेता, तो उन्हें स्थानीय पुलिस थानों में पेश कर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अटारी बॉर्डर पर तैनात इमिग्रेशन अधिकारी पाकिस्तानी नागरिकों के वैध यात्रा दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं, ताकि लौटने की प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी रूप से सुसंगत रहे।
इस बीच, देश के अन्य हिस्सों से भी पाकिस्तानी नागरिकों के डिपोर्टेशन की प्रक्रिया जारी है। कई लोगों के पास वैध वीजा समाप्त हो चुका है, तो कुछ लोग वर्षों से भारत में रह रहे हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि इन लोगों के पास आधार कार्ड जैसे भारतीय दस्तावेज कैसे पहुंचे और वे इतने लंबे समय तक भारत में कैसे रुके रहे।
भारत सरकार ने जहां एक ओर कड़ी सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीति के तहत सख्त फैसले लिए हैं, वहीं दूसरी ओर मानवता का परिचय भी दिया है। पाकिस्तान सरकार की उदासीनता और असंवेदनशीलता खुद उसके नागरिकों की मुश्किलें बढ़ा रही है।


