अखंड केसरी ब्यूरो :- चंडीगढ़ में आयोजित केंद्रीय और राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के निदेशकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक में फोरेंसिक विज्ञान के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण मंथन हुआ। इस अवसर पर सीएफएसएल चंडीगढ़ की निदेशक डॉ. सुखमिंदर कौर ने कहा कि “फोरेंसिक विज्ञान तभी शक्तिशाली होता है जब यह सरल, व्यावहारिक और वैज्ञानिक स्पष्टता से युक्त हो।” उन्होंने सहयोग और नवाचार को न्याय प्रणाली की नींव बताते हुए कहा कि डिजिटल एकीकरण और तकनीकी साक्ष्य के माध्यम से न्याय की गति और गुणवत्ता में सुधार संभव है। विशेष रूप से चंडीगढ़ को एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि यहाँ बीएनएस के अंतर्गत दर्ज मामलों में 95% सजा दर हासिल की गई है, जो फोरेंसिक बुनियादी ढांचे और न्याय सेतु तथा न्याय श्रुति जैसे नवाचारों की सफलता का प्रमाण है। बैठक में फोरेंसिक रिपोर्ट की समयबद्धता, गुणवत्ता नियंत्रण, आईसीजीएस एकीकरण, मानव संसाधन निर्माण और अपराध स्थल प्रबंधन जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। यह निर्णय लिया गया कि फोरेंसिक विज्ञान को भारत की नई आपराधिक न्याय प्रणाली की रीढ़ बनाकर, न्याय को त्वरित, निष्पक्ष और वैज्ञानिक बनाया जाएगा। यह पहल प्रधानमंत्री द्वारा 3 दिसंबर 2024 को राष्ट्र को समर्पित नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को मजबूती प्रदान करेगी, जिससे भारत में न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक परिवर्तन संभव होगा।


