मां नवदुर्गा जी के अष्टम स्वरुप मां महागौरी जी के निमित्त हवन-यज्ञ सम्पन्न

जालंधर। मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज एवं अष्टम नवदुर्गा जी के स्वरुप मा महागौरी जी के निमित्त सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया। सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार        पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को श्री रामनवमी एवं कंजक पूजन की शुभकामनाएं देते हुए प्रभु श्री राम के भजनों से निहाल करते हुए कहा कि श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है। दूसरे राजाओं के राजकुमार की तरह प्रभु श्री राम का जन्म हुआ लेकिन वो मर्यादा पुरुषोत्तम राम कैसे बने। कैसे वो मानव जाति के लिए असत्य पर विजय पाने वाले विजयी पुरुष बने।
नवजीत भारद्वाज जी प्रभु भक्तों को समझाते हुए कहते है कि प्रभु श्री राम को विष्णु के सातवें अवतार के रूप में जाना जाता है। इस अवतार में विष्णु ने सामान्य मानस की तरह व्यवहार किया और समाज में रहे। बिना किसी चमत्कारिक शक्ति के, प्रभु श्री राम ने एक आम इंसान की तरह जिंदगी व्यतीत की और सामान्य जन मानस के लिए नए उदाहरण स्थापित किए। देखा जाए तो प्रभु श्री राम ने किसी भी लीक को नहीं तोड़ा। वो एक आदर्श व्यक्ति के तौर पर समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ खड़े दिखे।
भरत और शत्रुघ्न के लिए आदर्श भाई के रूप में प्रभु श्री राम दिखे। पिता के लिए आदर्श बेटा बनकर राम ने नई सुकीर्ति गढ़ जिसके तहत कहा गया कि प्राण जाए पर वचन न जाए। पिता की बात को रखने के लिए राम ने वनगमन तक किया और अनेक दुख सहे और नए समाज को भी इससे प्रेरणा मिली।
प्रजा के लिए राम सदैव नीति कुशल राजा के तौर पर दिखे। जनता की रक्षा करनी हो या नए समाज की परिकल्पना राम ने सदैव उच्च विचारों से प्रेरित होकर न्याय प्रिय राजा के जैसा व्यवहार किया। तभी तो राजतिलक से पहले ही जब भगवान राम को वनवास का आदेश मिला तो पूरी अयोध्या नगरी एक साथ रो पड़ी।
नवजीत भारद्वाज जी प्रभु भक्तों को दिल को छू जाने वाले प्रभु श्री राम के प्रसंगों को सुनाते है कि लक्ष्मण सदैव राम के लिए चहेते भाई की तरह रहे। वो जब मेघनाद के वार से अचेत हुए तो सबसे पहले राम ही घबराकर रुदन करने लगे थे। तब एक व्याकुल और अधीर भाई की छवि राम के भीतर दिखाई दी जिसे लौटकर पिता और भाई की पत्नी को जवाब देना था।
श्री राम ने ही उदाहरण स्थापित किए कि कोई व्यक्ति हमेशा संपूर्ण ज्ञानी नहीं हो सकता। उन्होंने कई मौकों पर शिक्षा देने वाले शिक्षको का सम्मान किया। जब रावण की मृत्यु हुई तो श्रीराम उसके चरणों की तरफ बैठे और रावण से ज्ञान लिया। उन्होंने लक्ष्मण से भी यही कहा कि जब ज्ञानी ज्ञान दे तो उसे शिरोधार्य जरूर करना चाहिए।  शबरी के झूठे बेरों को श्रीराम ने उतनी ही लगन और चाव से खाया जितने चाव से शबरी ने बेर दिए थे। श्रीराम ने इस संदर्भ में जात पात और वर्गभेद के विरुद्ध उदाहरण पेश किया।

प्रभु श्री राम हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं, वो हमें बताते हैं कि यदि हम चाहें तो बिना किसी अवरोध के हम अपना जीवन मर्यादित रूप सेजी सकते हैं, प्रभु श्री राम हमारी प्रेरणा हैं, हमारा मार्गदर्शन हैं, हमारे आराध्य हैं व सबसे बड़ी बात हमारे आदर्श हैं। हवन यज्ञ के उपरांत मां की आरती एवं लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर श्वेता भारद्वाज,राकेश प्रभाकर, पूनम प्रभाकर विवेक अग्रवाल,अमरेंद्र कुमार शर्मा,समीर कपूर,मोनिका कपूर,सरोज बाला,नरेश, सुभाष डोगरा, उदय ,अजीत कुमार ,मनी राम, नरेंद्र ,रोहित भाटिया,राकेश शर्मा,नवीन , प्रदीप, सुधीर,वेद प्रकाश, सुमीत,डॉ गुप्ता,संजीव शर्मा,मुकेश,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह,दीलीप, लवली, लक्की,जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

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