मां बगलामुखी जी के निमित्त आलौकिक मासिक हवन यज्ञ सम्पन्न

जालंधर (रमेश बद्धन) मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में आलौकिक मासिक हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।  सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमानो से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन,घट स्थापन,खेत्री रोपण उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने अलौकिक हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को चैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं देते हुए भक्तिरस का रसपान करवाते हुए कहते है कि भक्ति, जीवन का आखिरी नशा है, जिसका नशा सुबह उतरता नहीं अपितु भोर से चढऩा शुरू होता है व जो शाम आते-आते शबाब पर होता है। कारण यह है भक्ति परम प्रेम रूप है, जब आप भगवान के प्रेम में होते हैं तो कितने खुश रहतें हैं। हमेशा अपने दिलबर (भगवान) की चाह में खोए रहते हैं। समय तक का पता नहीं चलता है। बिना प्रेम के भक्ति सिर्फ एक पाखंड है। जिस प्रकार के कर्मकांड के कोई परिणाम नहीं आते अपितु मन में निराशा जरूर आती है क्योंकि उसमें प्रेम नहीं है। प्रेम में मांगना समाप्त होकर सिर्फ समर्पण का भाव ही रहता है।

नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि मेरे कुछ परिचित सवाल करते हैं कि हम इतने दिनों से यह उपवास/ व्रत कर रहें हैं फिर भी हमारा यह काम नहीं हो रहा है। मैं उन्हें जबाब देता हूँ कि आप कर्मकांड कर रहे हो, प्रभु की भक्ति नहीं। आज लोगों के पास कितना ही धन, पद, प्रतिष्ठा है पर तृप्ति नहीं है क्योंकि वे भक्ति रस का पान नहीं कर रहें हैं।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि पूजा-आराधना की पद्धतियाँ कर्मकांड हैं। यदि हम उसमें अपने भाव (प्रेम) जगा लें तो ही कृपा संभव है अन्यथा समय की बर्बादी के सिवाय कुछ भी नहीं है। कई बार इन्हीं कर्मकांड के चलते श्रद्धा,अश्रद्धा में परिवर्तित हो जाती है और परमात्मा से आपका मन उचाट जाता है। हमें अपनी गलती पता ही नहीं चलती कि हमनें बिना गहरे समर्पण के बिना निष्काम प्रेम के जो व्रत, उपवास या जाप, हवन किया है उसका कोई परिणाम कैसे आएगा?

नवजीत भारद्वाज जी उपस्थित संगत को हास्यविनोद से कहते है कि आजकल हो क्या रहा है- हे हनुमान जी मैं 21 मंगलवार कर रहा हूँ, प्रभु मेरी ये मनौती पूरी कर देना। या मैं सोलह सोमवार का व्रत कर रही हूँ- मुझे बढिय़ा पति मिल जाए, या मिल गया है तो लडक़ा हो जाए और पता लगा लडक़ी हो गयी तो फिर भगवान को दोष शुरू। आप समझ ही नहीं रहें हैं कि यह भक्ति नहीं परमात्मा से व्यापार हुआ। भक्ति हमेशा परम प्रेम, श्रद्धा और गहरे समर्पण की मॉंग करती है।

हाँ एक सावधानी और रखिए जब आप प्रार्थना में रहो तो यह ध्यान रहे कि सब कुछ प्रभु कर रहें हैं, आपने अपने जीवन का सब भार उन्हीं पर छोड़ रखा है और जब भौतिक जीवन में कर्म करने बाहर निकलें तो यह ध्यान रहे की सब कुछ आपको करना है। प्रभु आपको बेहतर बुद्धि अवश्य दे सकते हैं, जीवन संग्राम आपको ही लडऩा है। अन्यथा कब आपकी श्रद्धा, अश्रद्धा में बदल जाएगी पता ही नहीं चलेगा इसलिए सावधान हो जाइए और भक्ति रूपी आखिरी नशे का मजे लीजिए। अलौकिक हवन यज्ञ पर विशेष रूप से पहुंचे हिंदी समाचार पत्र अखंड केसरी के संपादक अंकित भास्कर ने हवन यज्ञ में आहूतियां डाली और उपस्थित संगत को नूतन संवत्सर और चैत्र नवरात्र की शुभकामनाएं दी इस अवसर पर भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

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